हॉट कॉलेज सेक्स स्टोरी मेरी क्लास में सेक्सी फीगर वाली लड़की के साथ सेक्स का मजा लेने की है. उससे दोस्ती करने के लिए मैंने पढ़ाई में उसकी मदद की.
दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्कार.
मैं आपका अपना दोस्त बादशाह हूँ.
आप सोच रहे होंगे कि यह कैसा नाम है.
मैं आप सभी को बताना चाहूँगा कि यह एक काल्पनिक नाम है, जो मेरी असली पहचान के आगे एक हल्का सा पर्दा है और कुछ नहीं.
दोस्तो, मेरा आपसे यह वादा है कि नाम के कारण मैं आप लोगों से और कुछ नहीं छुपाऊंगा.
मैं जिस तरह के सामान्य जीवन में हूँ, आपके सामने वैसे ही पेश आऊंगा.
वैसे तो ये मेरी पहली ही सेक्स कहानी है पर अगर आप लोगों ने इस सेक्स कहानी को सराहा और इस कहानी का मुझे अच्छा रिस्पांस मिला तो मैं आप सभी के लिए और भी बेहतरीन दिलकश सेक्स कहानियां लिखता रहूँगा.
इस हॉट कॉलेज सेक्स स्टोरी को शुरू करने से पहले आप लोगों को अपने आपसे और इस कहानी के बाकी के किरदारों से रूबरू करवा देता हूँ.
पहला किरदार तो मैं खुद ही हूँ यानि आपका अपना बादशाह शर्मा.
मैं एक 20 साल का औसत देहयष्टि का लड़का हूँ और मैं बहुत ही खुले व हंसमुख मिज़ाज का लड़का हूँ.
मेरी हाइट 5 फुट 5 इंच है. रंग सांवला और 48 इंच की चौड़ी मर्दाना छाती है.
सेक्स के काम में आने वाला सबसे महत्वपूर्ण अंग मेरा लंड काफी लंबा मस्त लंड है.
दूसरे किरदार का नाम कीर्ति सिंह है. उसकी उम्र भी 20 साल ही है. उसकी हाइट 5 फुट 2 इंच है.
गोरा दूध सा सफेद रंग, नर्म मुलायम स्किन, कमर तक आने वाले काले लंबे बाल. दो बड़ी बड़ी आंखें और मॉडर्न सोच वाली एक मिडल क्लास लड़की है.
उसका फिगर 36-30-38 का बड़ा ही जानेलवा फिगर है.
ये कहानी जब की है, जब मैंने कंप्यूटर अकाउंट्स के कोर्स के लिए एक इंस्टीट्यूट में एड्मिशन लिया था.
वहां कुछ लड़कों से मेरी दोस्ती भी हो गयी थी.
वहीं पर मेरी मुलाकात कीर्ति से हुई थी.
उसे पहली बार देखते ही मेरी नज़र उस पर टिक गयी.
उसने उस दिन डेनिम की जीन्स और लाल रंग का फिटिंग वाला टॉप पहन रखा था.
उन कपड़ों में उसे देख कर ही मेरा लंड सलामी देने लगा था और मेरा मन करने लगा था कि उसे वहीं पकड़ कर किस कर लूं.
पर ऐसा होना नामुमकिन था … सो मैंने अपने ध्यान को वहां से हटाया और अपने कंप्यूटर में काम करने लगा.
दोस्तो, मेरा इंटरेस्ट शुरू से ही कंप्यूटर्स में रहा है, तो वहां मेरे टीचर्स जो भी सिखाते, मुझे बड़ी ही आसानी से याद हो जाता.
इस बात पर वहां के सभी टीचर्स मुझसे बहुत ही प्रभावित थे.
एक दिन कीर्ति को पनिशमेंट में देखकर मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- मुझे एक्सेल में … और टैली में बहुत ही प्राब्लम है. अगले महीने पेपर्स भी आने वाले हैं तो सर ने मुझे डांटा और पनिश कर दिया.
मैंने भी मौके का फायदा उठाया और कहा- अरे ये दोनों तो बहुत आसान हैं, अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें सिखा सकता हूँ.
उसने कहा- क्या सच में … तुम मुझे सिखा सकते हो?
मैंने उससे कहा कि हां … कल क्लास के बाद मिलना. हम किसी खाली कंप्यूटर लैब में बैठ कर प्रैक्टिस करेंगे.
उसने भी ओके कहा.
और मैं उससे उसका फ़ोन नंबर लेकर वहां से चला गया.
शाम को उसका मैसेज आया- हाय.
मैंने भी हाय रिप्लाइ किया और हमारी चैट शुरू हो गई.
कीर्ति- हाय!
मैं- हाय, हाउ आर यू?
कीर्ति- मैं तो ठीक हूँ तुम बताओ.
मैं- मैं भी ठीक हूँ.
कीर्ति- हम्म … गुड. अच्छा सुनो.
मैं- हां बोलो.
कीर्ति- कल क्लास के बाद मिलोगे ना … प्रैक्टिस के लिए?
मैं- हां ज़रूर … मैंने अपने घर पर भी बोल दिया है कि कल से मैं क्लास से एक घंटा देरी से आऊंगा. तुम भी अपने घर पर बोल देना.
कीर्ति- अरे मैंने तो पापा के आते ही परमिशन ले ली थी.
मैं- दट्स गुड
कीर्ति- चलो कल क्लास के बाद मिलते हैं.
मैं- ओके बाइ!
कीर्ति- बाइ गुड नाइट.
मैं- गुड नाइट.
अगले दिन क्लास के बाद वो एक खाली लैब में मेरा इंतजार कर रही थी.
मैंने उसे देखा और मैं भी उस लैब में अन्दर घुस गया.
उससे मैंने उसकी प्रॉब्लम्स पूछी और उसे समझाने में लग गया.
उसकी नजरें मेरी तरफ कम होती थीं और काम पर अधिक रहती थीं.
इससे मुझे कुछ मायूसी सी होने लगी थी.
तब भी मुझे अपने लंड पर भरोसा था कि एक न एक दिन कीर्ति मेरे लंड पर सवारी कर ही लेगी.
मैं उसे कंप्यूटर पर झुका देखता तो उसकी भरी हुई चूचियां मुझे आंदोलित करने लगती थीं और मैं बस उसकी चूचियों की आंखों से चुदाई और चुसाई करने के सपने देखता रहता था.
वो भी कभी कभी मेरी नजरों को पढ़ लेती थी लेकिन उसने कभी कुछ नहीं कहा.
न ही मुझे झिड़का और न ही प्यार जताया.
ये सब बातें मुझे और भी ज्यादा समस्या दे रही थीं.
यदि वो मुझे डांट देती या प्यार भरी नजरों से देख लेती तो मुझे आगे बढ़ने या पीछे हटने में निर्णय लेने में सहूलियत हो जाती.
ऐसे ही एक महीने तक हम रोज क्लास के बाद बैठ कर पढ़ने लगे और धीरे धीरे उसे भी सब समझ आने लगा.
उसकी इस इंप्रूवमेंट से टीचर्स भी काफ़ी खुश थे.
एक महीने के बाद जब हमारे पेपर हुए तो उनमें कीर्ति ने काफ़ी अच्छा परफॉर्म किया था.
उसके बाद हमारी दोस्ती और गहरी हो गयी.
इसी बीच उसने मुझे बताया कि उसका ब्वॉयफ्रेंड भी है.
ऐसे ही दो महीने के अन्दर हमारी दोस्ती बहुत ही गहरी हो गयी.
एक दिन मैं घर पर अकेला बैठ कर पॉर्न देख रहा था.
उस दिन मेरे मम्मी पापा कहीं बाहर गए थे और वो लोग अगले दिन शाम को आने वाले थे.
मैं पॉर्न देख कर मूड सैट कर रहा था.
इतने में मेरा फोन बजा.
मैंने देखा तो कीर्ति का फोन आया था. मैंने फोन उठाया तो वो रो रही थी.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने बताया कि उसके ब्वॉयफ्रेंड से उसकी लड़ाई हो गयी है. वो इसी कारण से हमेशा के लिए चला गया.
मैंने उससे बोला कि तू एक काम कर … मेरे घर आ जा. अगर तू अपने घर में ऐसे रोएगी और तेरे मम्मी पापा ने देख लिया … तो और प्राब्लम हो जाएगी.
उसने ओके बोल कर फोन काट दिया.
उसका फोन काट कर मैंने कपड़े पहने और उसके आने का वेट करने लगा.
इतने में उसका फोन आया और वो बोली कि मैं मेट्रो पर हूँ, लेने आ जा.
मैंने भी अपनी स्कूटी उठाई और उसे लेने पहुंच गया.
वहां से मैंने उससे पिक किया, वो मेरे पीछे बैठ कर भी रो रही थी.
मैंने उससे कहा- ऐसे रोड पर मत रो, कोई देखेगा तो क्या सोचेगा.
उसने अपने आपको जैसे तैसे कंट्रोल किया.
हम दोनों घर पर आ गए.
मैंने उसे अन्दर लिया और उससे कहा- तू यहां पर बैठ, मैं बाहर से कुछ खाने के लिए लाता हूँ.
उसे वहां बिठा कर मैं बाहर खाने के लिए कुछ व्हिस्की व स्नेक्स वगैरह लेने चला गया.
तभी मेरे दिमाग़ में बात आई कि क्यों ना आज इससे पटा कर चोद दिया जाए. आज वैसे भी मौका बहुत अच्छा है.
तभी मैं अपने एक परिचित की केमिस्ट की शॉप पर गया और वहां जाकर मैंने उससे कहा कि यार लड़कियों वाली सेक्स की गोली दे दे.
उसने चुपके से मुझे दे दी और कहा- एक ही गोली दियो, नहीं तो तू सम्भाल नहीं पाएगा.
मैंने कहा- ओके.
मैं गोली और बाकी का सामान लेकर घर पर आ गया.
फिर मैं दारू पीने बैठ गया.
मैंने कीर्ति को जानबूझ कर नहीं कहा था कि दारू पी लो.
अचानक से वो बोली- मेरा मन भी पीने का कर रहा है.
मैंने कहा- तो ले ले … मुझे क्या मालूम था कि तू भी लेती है.
हम दोनों दारू पीने बैठ गए.
उस समय शाम के 4 बज रहे थे.
कुछ देर बाद मैंने उससे कहा- अगर तू दारू पीकर घर जाएगी तो तेरे पापा कुछ बोलेगे नहीं?
उसने कहा- हां यार, ये तो मुझे ध्यान ही नहीं रहा … पापा तो मुझे बहुत मारेंगे.
मैंने उससे कहा कि तू एक काम कर … आज रात तू मेरे ही घर रुक जा. यहां दारू पीकर सो जाना.
उसने कहा कि हां यह बहुत ही अच्छा आइडिया है.
उसने अपने घर फोन किया और कहा कि आज वो अपनी फ्रेंड के घर रुकेगी.
उसने पहले ही अपनी उस फ्रेंड को बोल दिया था कि मैं घर से फोन पर तुझे कांफ्रेंस पर ले रही हूँ. तू पापा को बता देना कि मैं तेरे घर पर हूँ.
फिर उसने घर पर पापा से बात की, तो उसने अपने पापा से कांफ्रेंस पर अपनी फ्रेंड की बात करवा दी.
उसके पापा भी मान गए.
मैं भी बहुत खुश हुआ कि मेरे प्लान का पहला स्टेप तो पूरा हो गया था.
अब मैंने एक सिगेरट सुलगाई और कश लेने लगा.
उसने मेरी उंगलियों में फंसी सिगेरट निकाली और मजे से धुंआ उड़ाने लगी.
कुछ देर बाद मैंने उससे कहा- कीर्ति, अगर बुरा ना मानो तो मैं एक बात पूछूँ?
उसने कहा- हां पूछ ना.
मैं- तेरे और तेरे ब्वॉयफ्रेंड के बीच ऐसी क्या बात हो गयी कि तुम्हारी इतनी बुरी तरह लड़ाई हो गयी?
कीर्ति- यार वो मुझे कहता था कि वो सिर्फ़ मुझसे प्यार करता है. पर जब एक दिन वो अपना फोन का लॉक खुला छोड़ कर कहीं काम से चला गया था तब मैंने उसका फोन चैक किया. उसमें व्हाट्सैप पर बहुत सी लड़कियों के नंबर थे, जिनसे वो बहुत फ्लर्ट करता था. फिर जब मैंने उसकी फेसबुक खोली, तो मैंने देखा कि वहां भी वो कई फीमेल आईडी से बातें करता है. वो सबसे यही कहता था कि वो सिंगल है … उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है. मैंने वहां तो कुछ नहीं कहा, पर जब मैंने उससे उस बारे में बात की तो वो भड़क गया और बोला कि तुम्हें मुझ पर ट्रस्ट ही नहीं है, तो तुम आज के बाद मुझसे बात मत करना. बस इतना कहकर उसने फोन कट कर दिया.
मैं- अच्छा ये बात है … तो तू उसकी गलतियों की सज़ा अपने आपको क्यों दे रही है?
कीर्ति- यार, वो मुझसे प्यार करे या ना करे … पर मैं तो उससे प्यार करती हूँ ना!
इतना कह कर वो फिर से रोने लगी.
मैंने भी मौके का फायदा उठाकर उसे गले से लगा लिया.
पांच मिनट रोने के बाद उसने अपने आपको संभाला. वो बोली- वॉशरूम कहां है?
मैंने उसे वॉशरूम दिखाया और कहा- तुम वॉशरूम होकर आओ, मैं पैग बनाता हूँ.
उसने ओके कहा और वॉशरूम में चली गयी.
मैंने दो पैग बनाए ओर उसके पैग में गोली मिला दी.
फिर मैंने बैठ कर उसके आने का वेट किया.
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