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कामुकता विहीन लड़की का कायाकल्प- 2

  


इरोटिक फोरप्ले सेक्स कहानी में मैंने एक ठंडी लड़की को फोरप्ले में इतना गर्म कर दिया कि लंड चूत में जाते ही वो झड़ गयी. उसने पहली बार सेक्स में असली मजा लिया.

कहानी के पिछले भाग
जवान लड़की की सेक्स के प्रति बेरुखी
में अब तक आपने पढ़ा कि मैंने और पिंकू ने सोनू का सेक्स के प्रति अरुचि को खत्म करने के लिए एक योजना बनाई और एकसाथ सोनू के कामोत्तेजक अंगों को अपने हाथ और मुंह से उत्तेजित करने की कोशिश करने लगे।

अब आगे इरोटिक फोरप्ले सेक्स कहानी:
  
हम दोनों ने अब अपने अपने हिस्से के होंठों पर काम चालू करा।

पिंकू ने सोनू की योनि के होंठों को बिल्कुल मुंह के होंठों की तरह किस करना चालू करा।
कभी उनको चाटती, कभी एक को चूसती कभी दूसरे को, तो कभी दोनों को एकट्ठा अपने होंठों में दबा कर चूसने लगती।

मैं तो सोनू के होंठों पर पिला ही हुआ था।
तभी सोनू ज़ोर से चिहुंकी।
पिंकू ने उसकी क्लिटोरिस को चूसते चूसते अचानक से दांतों से ज़ोर से कचकचा दिया था।

मैंने उसके गालों को अपने सीने में भींचा और होंठों को चूमते हुए उसे तसल्ली दी। 

फिर मैंने ऊपर के और पिंकू ने नीचे चूत के होंठों को पीना शुरू करा।

तभी पिंकू ने एकाएक अपनी जीभ सोनू की चूत के होंठों को फैलाते हुए उसमें घुसा दी।

सोनू ने उह्ह आःह्ह उई ईईए ज़ोर की सिसकी भरी और उसके होंठ थोड़ा खुल गए।

मैंने फायदा उठाते हुए अपनी जीभ सोनू के मुंह में घुसा दी।
फिर मैंने सोनू के मुंह और पिंकू ने उसकी चूत की चुदाई अपनी अपनी जीभ से चालू कर दी।

सोनू की चीखें निकल रही थीं लेकिन मुंह मेरे मुंह के साथ सिला होने से गूँ गूँ गूँ … की आवाज़ ही निकल रही थी।

आखिर उसकी झिझक खोलने के लिए मैंने उसके लबों को आज़ाद कर दिया।
“ओह्ह अह्ह ह्हउई ईईई मर गई … आःह्ह उफ्फ फ्फ श्ह्ह ह्ह … की चीख़ों से कमरा गूंजने लगा।

पिंकू का मुंह सोनू के कामरस से पूरा सन गया था।
मैंने पिंकू के मुंह को चाट चाट के साफ करा और सोनू के कामरस से भीगी अपनी जीभ सोनू के ही मुंह में डाल कर उसे उसके ही कामरस का स्वाद दिलाते हुए, उसके मुंह की जीभ चुदाई करने लगा।

सोनू भी ज़ोर ज़ोर से मेरी जीभ पर लगा पिंकू और मेरे थूक मिश्रित अपना कामरस चूस रही थी। 

पिंकू हाँफती हुई सोनू के बगल में लेट गई और उसकी चूचियों से खेलने लगी।
सोनू अब ऊब कर बोली- अब और क्या करना है? अब तो मेरी चीखें भी निकल गईं। जल्दी से डालो और निबटो।

उस के मुंह से यह बात कोई नई नहीं थी।
पुरानी आदतें धीरे धीरे ही जाती हैं।
हांलांकि अब तक सोनू भी कामक्रीड़ा में आनंद लेने लगी थी।

मैंने उसके बोबे मसलते हुए हुए कहा- जानेमन, अभी तो तुम्हारी निगेटिविटी पूरी तरह खत्म कहाँ हुई है. कुछ कोशिश मरीज को भी करनी चाहिए। ज़रा खुल कर बताओ क्या चीज़ कहाँ डालने को कह रही थीं?
सोनू ने शर्माते हुए मेरे पेनिस की तरफ इशारा कर दिया।

मैंने उसका हाथ बढ़ा कर अपना लंड उसके हाथ में देते हुए पूछा- इसको कहते क्या है?
“पेनिस …” सोनू फुसफुसाई और शर्म से उसका चेहरा लाल हो गया।

“हिन्दी में?” मैंने और कुरेदा।
उसको बहुत शर्म आ रही थी, ‘ल ल ल लंड …’ उसने हकलाते हुए बोला।

‘शाबाश शाबाश!’ मैंने उसे चूमते हुए बोला- और कोई नाम?
“लौड़ा …” पिंकू ने उसके कान में फुसफुसाया।

इस बार सोनू ने थोड़ा सहज होते हुए इसे दोहराया।

“अब इसे कहाँ डालना है?”
“चू … चू … चू … चूत!” सोनू का चेहरा फिर से लाल भभूका हो गया।

धीरे धीरे सोनू की झिझक मिटती जा रही थी और वो ज़ोर ज़ोर से खीं खीं करते हुए लंड, लौड़ा, चूत चूची, बोबे चूत दाना, कामकणिका, बुर … पहाड़े पढ़ रही थी।

मेरे हाथ उसके उरोजों का लगातार मर्दन कर रहे थे।
उसकी चूत की खुजली तो बनी ही हुई थी बल्कि और बढ़ती जा रही थी, जिसको वो नर्वस हंसी से छुपाने की कोशिश कर रही थी।
उसकी गिगलिंग अभी भी नर्वस सी ही थी लेकिन यह नर्वस गिगलिंग उसकी सुंदरता को चार चाँद लगाती है।

मैंने सोच रखा था कि जब तक सोनू हाथ जोड़ के नहीं गिड़गिड़ाएगी, मैं अपना लंड उसकी चूत में नहीं डालूँगा।

अब पिंकू घोड़ी बन कर सोनू के ऊपर सिक्स्टी नाइन कि पोजीशन में आ गई लेकिन अपनी चूत को उसके मुंह से कुछ ऊंचाई पर ही रखा जबकि अपना मुंह सीधे उसकी कामकणिका पर टिका कर क्रीज़ सम्हाल ली और आगे के निर्देशों का इंतज़ार करने लगी।

बिल्कुल ऐसा पोज था जैसे शेरनी शिकार को छलांग लगाने जा रही हो।

पिंकू की रसीली चूत, क्लिटोरिस और गांड हम दोनों को साफ साफ नज़र आ रहे थे।

अब मैंने टेलीप्रिंटर की तरह उसके बटन दबाते हुए इन्सट्रकशंस देनी शुरू करीं।
एक तरीके से पिंकू का शरीर टेलीफोन लाइन बन गया।

मैं इधर उसके गुप्तांगों पर टाइप करता और उधर वो इन्फोर्मेशन पिंकू के मुंह तक पहुँच जाती।

पहले मैंने पिंकू कि क्लिटोरिस को मसलना, सहलाना उमेठना शुरू करा।
उसने बिल्कुल इन्ही ऐक्शन को सोनू की क्लिटोरिस पर अपनी जीभ से दोहराया।

मैंने पिंकू की चूत के होंठों को सितार के तारों की तरह छेड़ा, उसने यही काम सोनू की चूत की फाँकों पर अपनी जीभ से किया।

उँगलियों से मैंने उसकी चूत की चुदाई करी, उसने सोनू की चूत में अपनी जीभ घुमा घुमा कर चोदा।
फिर मैंने अपनी उँगलियों को आराम देते हुए यही हिदायतें अपनी जीभ से देनी शुरू करी।

एक तो पिंकू का कला कौशल और दूसरी तरफ मेरी उँगलियों और जीभ की मेहनत से उसकी कामरस छोड़ती चूत, गांड और क्लिट के भव्य दर्शन!
सोनू की हालत मारे उत्तेजना के पतली होती जा रही थी और वो ज़ोर ज़ोर से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर आआह्ह … श्ह्ह्ह्ह … सीईईई आईई … उई ईई ईई ईए आह्ह्ह जैसी आवाजें निकाल रही थी।

“अब तक कैसी छुई मुई बन रही थी, अब देखो बजवाने के लिए कैसी बेताब हो रही है।” पिंकू खिलखिलाती हुई बोली।
सोनू ने शर्माते हुए आंखें बंद कर लीं लेकिन कुछ बोली नहीं।

अभी तो बूस्टर डोज़ का आगे का असर देखो.

मैंने पिंकू कि गांड में उंगली करते हुए जवाब दिया। 
अब मैंने पिंकू का रिमोट सोनू को ट्रांसफर कर दिया कि जैसा मन हो वैसे मजे लो।

सोनू को जैसे अपनी चूत, क्लिट वगैरह पर करवाने का मन करता वो अपनी उंगलियों से वही काम पिंकू की चूत और कामकणिका पर करती और वैसा ही जवाब अपने कामाँगों पर पाती।
इधर इस काम से फुर्सत पाकर मैंने अपनी अटेन्शन फिर से सोनू की चूचियों और मुंह पर केन्द्रित करी।

उसकी चूचियों से खेलते हुए उसके मुखड़े के चुंबन लिए, गालों और ठोड़ी को चूसा, होंठों को अपने होंठों से रौंदा, उसके कानों को चाटा।

इस बार सोनू ने भी बराबर का सहयोग दिया।
उसने भी मेरे पूरे चेहरे के पूरे जोशोखरोश के साथ दोगुने चुंबन लिए और मेरे होंठों को बार बार चूसा।

उसके चेहरे से कामातुरता टपक रही थी। उसके चेहरे का यह कामुक लुक आज तक की शालीनता से बिल्कुल अलग सा था।

फिर सोनू ने भी अपनी उँगलियों को आराम देते हुए अपनी जीभ से मैसेज पास करने शुरू करे और जब चुलबुलाहट ज्यादा बढ़ी तो शर्माना छोड़ कर पिंकू के चूतड़ों को पकड़ कर अपने मुंह पर गिरा ही लिया और बाकायदा सिक्स्टी नाइन की पोजीशन में आ गई।

मैं थोड़ा रेस्ट लेते हुए उन दोनों की जोशीली काम क्रीड़ा का आनंद लेने लगा।
दोनों ही एक दूसरी की चूतें चाट रही थीं, पी रही थीं, जीभ से चोद रही थीं, क्लिटोरिस को चूस रही थी।

“जी स्पॉट ढूंढो!” मैंने सजेस्ट करा।

दोनों ने अपनी जीभों को इस मिशन पर लगाया और एक दूसरे की कन्ट में अपनी अपनी जीभों से पड़ताल करने लगीं।
पहली बाजी सोनू ने मारी।

अब पिंकू बुरी तरह से उत्तेजित होकर अपने चूतड़ हिलाने लगी और सोनू की चूत को भूखी शेरनी की तरह खाने लगी।

तब तक कुशल और अनुभवी पिंकू ने भी सोनू के जी स्पॉट को पा लिया।
अब तो दोनों के मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थीं और क्यूंकि दोनों ने ही एक दूसरे के चूतड़ों को अपनी बांहों में जकड़ रखा था और जीभें चूतों में घुसाई हुई थी, वोह बिस्तर पर “एक शरीर- दो जान” की तरह कलाबाजियाँ खा रही थीं।

सेक्स एंजॉयमेंट थेरेपी काम कर रही थी।
खैर उनको उत्तेजना के शिखर पर पहुँचने से पहले ही मैंने रोक दिया और अलग अलग होने को बोला।

अभी तीनों डोजेज़ के पूरे असर की भी तो जांच करनी थी।
पिंकू के सोनू के ऊपर से हटते ही सोनू ने मुझे शिकायती अंदाज में घूरा.
लेकिन मैं उसकी बगल में लेट गया और उसको अपने ऊपर लेटने को बोला।

वो कामातुर हो कर पूरी उत्तेजना से तड़पती हुई बिना झिझक मेरे ऊपर चढ़ कर काऊगर्ल पोजिशन में बैठ गई और बिना समय बर्बाद करे मेरा लौड़ा पकड़ कर अपनी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी।

लेकिन प्रैक्टिस ना होने से नाकामयाब रही और तीन चार बार कोशिश करने के बाद झेंप कर अपनी चूत और कामकणिका मेरे लंड पर घिसने लगी।

उसकी इस हरकत को देख कर पिंकू फिर खिलखिला कर हँसती हुई बोली- देखो कैसी शर्मीली बनती थी, अब देखो कैसी चुदासी हो रही है। अब तो इसकी बजा ही डालो।

मैं मुस्कुराते हुए उठ कर आलथी पालथी मार कर बैठ गया और सोनू को लोटस पोजिशन में अपने आगोश में ले लिया।

वो उत्तेजनावश अपनी छातियां मेरे सीने से रगड़ रही थी और मेरा लौड़ा हम दोनों के नंगे बदन के बीच में पिस रहा था।
उसके गले और कंधे पर मेरी चुम्मियाँ लगातार जारी थीं और हाथ उसकी नर्म और मुलायम पीठ की हल्के हल्के मसाज कर रहे थे।

क्योंकि सोनू अच्छे कद की है इसलिए इस पोजीशन में उसका चेहरा मेरे चेहरे से थोड़ा ऊपर पड़ रहा था।
मैं कभी अपना मुंह ऊपर उठा कर उसके अधरों का स्वाद लेने लगता तो कभी अपना मुंह थोड़ा नीचे झुका कर उसकी चूचियों को चूसने लगता।

इस पोजीशन में उसकी ठुड्ढी भी आम की गुठली की तरह चूसने में भी बहुत मजा आया।

आखिर में फिर से चित लेटते हुए मैंने उसको अपने ऊपर खींचा और प्यार से चूमते हुए सोनू के अधर अपने निप्पलों की तरफ खिसकाये।

सोनू एक शर्मीली मुस्कुराहट के साथ मेरे ऊपर लेट लेटे नीचे अपनी चूत और क्लिट मेरे लंड से रगड़ने के साथ साथ मेरे निप्पलों भी चूसने लगी।
पिंकू को देख देख कर उसे मालूम तो सभी कुछ था लेकिन इच्छा नहीं होती थी, जो आज सारे बांध तोड़ कर जाग गई थी।

सोनू ने पूरे मनोयोग से मेरे निप्पलों को चाटा, चूसा, चुम्मियाँ लीं और दांतों से लव बाइट्स भी दीं।

मैं प्यार से उसके मुलायम मुलायम कपोल सहलाते हुए उसके कानों में स्वीट नथिंग्स की सरगोशियां कर रहा था।
इस बीच पिंकू उसकी पीठ पर गर्दन से लेकर चूतड़ों तक अपनी जीभ फिरा फिरा कर और धीमी धीमी पुच्चियाँ ले ले कर उसकी कामोत्तेजना को और बढ़ा रही थी।
कभी उसके ऊपर लेट कर अपनी निप्पलों से उसकी पीठ को सहलाती तो कभी उसके ऊपर पूरा दबाव डाल कर अपने बोबों से पीठ की जोरदार घिसाई करते हुए मालिश करती।

करीब आधे घंटे तक सोनू से मजे लेने के बाद आखिर मैंने अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।

वो एकदम बेकाबू होकर उसे अपनी चूत की फाँकों से निचोड़ने लगी और तेजी से कभी आगे पीछे तो कभी दायें बाएँ हिल हिल कर अपनी बुर की खुजली मिटाने लगी।

मेरे आग्रह पर अपनी चूत को मेरे लन्ड के चारों ओर गोल गोल भी घुमाया और फिर ‘उईई ईईईई मर गई …’ की एक लंबी सिसकारी लेते हुए मुझसे लिपट गई।

ज्वालामुखी की तरह फूटते उसके कामरस के साथ साथ सेक्स के प्रति उसका मानसिक अवरोध अब पूरी तरह बह निकला था।
उसकी आँखों से आंसुओं की धार बह रही थी लेकिन होंठों पर एक अजीब संतोष भरी मुस्कान भी थी।

मेरा इलाज कामयाब रहा था।
मैं सोनू को उसी पोजीशन में अपनी बांहों में भींच भींच कर देर तक प्यार करता रहा।

जैसा कि मैं बता ही चुका हूँ कि मैं किसी भी सेक्स सेशन का समापन अपनी फेवरिट मिशनरी पोजीशन में ही करता हूँ।
तो मैंने अपना लंड उसकी चूत में पिरोये पिरोये ही पलटी खाई और अपनी बांहें उसकी पीठ के पीछे ले जा कर उसे अपनी भुजाओं में ज़ोर से जकड़ते हुए उसकी भयभीत हिरनी के समान बड़ी बड़ी बंद आँखों के आंसुओं को चूम चूम कर सुखाया और फिर आंसुओं से भीगे हुए गालों को चूसते हुए हौले हौले धक्के मारने शुरू करे।

पूरी तरह झरने के बाद भी सोनू की चूत के होंठ फुदक फुदक कर मेरे लौड़े को चूस रहे थे।
उसने अपनी बांहों से मेरी गर्दन और टांगों से कमर दबोच रखी थी।

मैंने उसके पूरे चेहरे को चूमते हुए अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू करी और उसके संतरे की फांकों जैसे होंठों को अपने होंठों से कस कर भींचते हुए फ़ाइनल अटैक करा।
अब मेरा गरमागरम लावा उसके कामकुंड में अंतिम आहुति दे रहा था।

सोनू ने भी मुझे कस कर भींचा और एक बार फिर से स्खलित होकर मेरा साथ दिया।
मैंने सोनू की टांगों को अपनी टांगों के बीच में लेते हुए उसकी चूत को मेरे लंड को पूरी तरह दबाने का मौका दिया।

उसने भी अपनी टांगों की कैंची बना कर मेरे लौड़े को अच्छी तरह निचोड़ डाला।
अब इरोटिक फोरप्ले सेक्स से सोनू की कामाग्नि पर जमी बर्फ पूरी तरह गल चुकी थी।

मैं देर तक सोनू के बदन पर निढाल होकर पड़ा रहा।
तब तक पिंकू भी सोनू के बगल में आ कर लेट गई।

मैंने पिंकू को भी मेहनताने और शाबाशी के तौर पर गिन कर एक सौ एक पुच्चियाँ उसके चेहरे पर दीं।
वो एक योग्य ट्रेनिंग असिस्टेंट सिद्ध हुई थी।

अब तक सुबह के चार बज गए थे।
हम लोग निढाल होकर जहां थे जिस पोजीशन में थे, नींद के आगोश में समाते चले गए।

बीच में मेरी आँख थोड़ी सी खुली तो नीले नाइट बल्ब की हल्की रोशनी में देखा कि सोनू एक मासूम लड़की की तरह नींद में ही हौले हौले मुस्कुरा रही है।
मेरे दिल पर कटारियाँ चल गईं।
मैंने अपने जज़्बात पर काबू किया और स्वप्नलोक में खो गया।


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