नमस्कार मित्रो!
कहानी के पहले भाग
नटखट चंचल वासना से भरी लड़की के साथ
में आपने पढ़ा था कि पिंकू और सोनू के साथ नशीली किसिंग और स्मूचिंग करने के बाद मैं पिंकू को गोद मे उठा कर बेडरूम में ले गया और फोरप्ले करने लगा।
अब आगे सेक्स क्वीन Xxx कहानी:
अब आगे शुरू करने से पहले मैं यहाँ यह बता दूँ कि मैं शारीरिक सफाई के बारे मे बहुत गंभीर हूँ।
किसी भी सेक्स सेशन से पहले हम तीनों टूथ ब्रुश, माउथ वॉश से कुल्ला करते हैं, फिर एक साथ शावर लेते हैं और एक दूसरे की तसल्ली से शैम्पू, फ़ेस वाश, वैजाइनल वाश, बॉडी जेल से सफाई करते हैं।
खास तौर पर मैं उन दोनों की चूत, गांड, नाभि और कान अपने हिसाब से साबुन से अच्छी तरह रगड़ता हूँ.
और वो दोनों भी एक दूसरे को ऐसे ही साफ करती हैं।
फिर वो दोनों बारी-बारी से मेरे लण्ड, टट्टों, नाभि और कानों की सफाई अपने हाथों से करती हैं।
वीट वगैरह से बालों की सफाई भी हम लोग एक दूसरे की करते हैं।
आखिर जिसको चाटना, चूसना है, उसको तसल्ली होनी ही चाहिए।
यह एक तरह से फुल फोरप्ले सेशन हो जाता है और मूड सेट करने का काम करता है।
खैर, अब पिंकू अपनी चूत मरवाने के लिए पूरी तरह तैयार और बेताब थी और मैं भी बाहर ही स्खलित होने के खतरे में आ गया था।
मैंने अब पिंकू की बगल में लेटते हुए उसे अपने ऊपर खींचा।
वो तो पहले से ही बेकरार थी।
पिंकू तेजी से उठी और मेरे सख्त तने हुए लौड़े पर अपनी चूत की फाँकों को सटाकर तेज धक्का मारा।
मेरा लौड़ा खचाक की आवाज़ के साथ अंदर धँसता चला गया।
मुझे भी कुछ शांति मिली।
अब उसने अपने चूतड़ों को हिलाते हुए ऊपर नीचे उठना बैठना शुरू किया।
उसके उरोज, जो मेरे हाथों और मुंह की कृपा से लाल हो चुके थे, और निप्पल जो लगातार उमेठे जाने से तन चुके थे, दो गुब्बारों की तरह ज़ोर ज़ोर से फुदक रहे थे।
करीब पाँच मिनट के बाद मैंने उसके स्तनों से फिर से खेलना शुरू किया।
पिंकू ने भी आगे की ओर झुकते हुए अपनी चूचियों को मेरे होंठों से छुआना शुरू किया।
वो मुझे चिढ़ाते हुए निप्पल्स को मेरे होंठों से टच करती और जैसे ही मैं मुंह खोलता, दूर हो जाती।
मेरी आँखों के सामने झूलती हुई दो दो गुलाबी गेंदें मुझे मदहोश कर रही थीं।
आखिर मैंने उसके दोनों बूब्स को अपनी मुट्ठी में लेकर भींचते हुए उसके दोनों निप्पल्स एक साथ ही अपने मुंह में भर लिए और उनका रसास्वादन करने लगा।
साथ ही मैं नीचे से ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा।
पिंकू के मुंह से ऊऊऊ … ऊऊई … ईई आअई ईईई उफ्फ … जैसी अजीब अजीब आवाज़ें निकल रही थीं जो कि माहौल को और उत्तेजक बना रही थीं।
सच पूछो तो उसकी इसी अदा पर तो मैं कुर्बान था।
मैंने उसकी चूचियों को छोड़ा और उसके गालों को चूमते हुए प्यार करने लगा।
अब मैं पिंकू के अंदर लण्ड डाले डाले ही उठ कर आलथी पालथी मारकर बैठ गया और उसको लोटस पोजीशन में पेलने लगा।
पिंकू भी अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर में और बांहें गले में लपेट कर मुझसे ऐसे लिपट गई जैसे बेल पेड़ पर लिपट जाती है।
उसको कस कर आलिंगन में भींचते हुए मैंने उसकी गर्दन और कंधों को चूमना और चूसना शुरू किया और उसकी चूचियों के मेरे सीने के साथ घर्षण का आनंद लेने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने अपने हाथ उसके चूतड़ों पर लगाए और फिर अपनी एक उंगली उसकी गांड में घुसा दी।
वो ज़ोर से चिहुंकी लेकिन मेरे लण्ड पर अपना उठना बैठना जारी रखा।
थोड़ी देर तक ऐसे ही चोदने के बाद मैंने अपनी पकड़ ढीली की और बिना लंड बाहर निकाले उसको थोड़ा पीछे धकेल कर उसके हाथों पर टिका दिया।
अब उसकी क्लिटोरिस भी मेरी पहुँच में आ गई।
मैंने मौके का फायदा उठाते हुए फिर से उसके साथ खेलना शुरू कर दिया।
बार-बार उसे चुटकी में भर कर उमेठा, उंगली से रगड़ा और गोल गोल घुमाया।
साथ-साथ अपने दूसरे हाथ की उंगली उसकी गांड में आगे पीछे करता रहा।
पिंकू के मुंह से लगातार सीत्कारें निकल रही थीं- उईई मम्मी … उफ्फ्फ … सीईई!
और वो तेजी के साथ उछल-उछलकर धक्के मार रही थी।
इस बीच सोनू को कुछ और व्यस्त करने के इरादे से मैंने उसे पिंकू के पीछे बैठ कर उसे सहयोग करने के लिए बोला।
सोनू ने पिंकू के पीछे बैठ कर उसका सिर अपनी छातियों पर टिका लिया और उसके बूब्स से खेलने लगी।
पिंकू के हाथ भी फ्री होकर कुछ रिलैक्स हो गए और वो उनकी माला बनाकर सोनू के गले में झूल सी गई।
वो अपने पीछे से उसका सिर अपने ऊपर खींच कर उसके होंठों का रस पीने लगी।
मैं अब फिर से चित लेट गया और पिंकू को चूचियों से पकड़ कर ज़ोर से अपनी ओर खींचा।
वो मेरे सीने पर गिर पड़ी और उसकी चूचियाँ एक थपाक की आवाज़ के साथ आकर मेरे सीने से टकराईं।
मैंने उसको पूरी लंबाई में अपने ऊपर लिटा लिया और उसकी पीठ और कंधों की मसाज करने लगा।
पिंकू का मुंह मेरे सीने पर था।
उसने मेरे एक निप्पल को धीरे-धीरे चाटना शुरू कर दिया।
फिर अपने होंठों से हल्की हल्की मसाज की और काफी देर तक ऐसा करने के बाद मुंह में लेकर गोल गोल घुमाते हुए पहले हल्के हल्के और फिर तेजी के साथ चूसने लगी।
अब आह्ह … निकालने की बारी मेरी थी।
मैंने उसका सिर पकड़ कर दूसरे निप्पल पर रखा तो वो भूखी शेरनी की तरह उस पर भी टूट पड़ी।
एक दो बार तो उसने उत्तेजित होकर मेरे सीने पर ज़ोर से काट भी लिया।
मैं तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था।
काफी देर तक वो बारी-बारी मेरे दोनों निप्पल्स की सेवा करती रही।
उसकी निप्पल्स चूसने की कला के आगे मैं तो बिलकुल नौसिखिया ही महसूस कर रहा था और मेरा लौड़ा और ज्यादा फनफनाने लगा।
इस सबसे उसे भी उत्तेजना आ रही थी और वो मेरे शरीर पर फिसलती हुई आगे पीछे हिलने लगी, जैसे बॉडी टू बॉडी मसाज दे रही हो।
साथ ही साथ अपनी टांगें भींच भींचकर वो मेरे लंड को निचौड़े जा रही थी।
मैं उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से बुरी तरह मसलते हुए उसकी चूत को और टाइट करने की कोशिश कर रहा था।
पिंकू ‘जल्दी निकालो … जलदी निकालो …’ चिल्ला रही थी।
उसके होंठों पर एक भरपूर चुंबन देते हुए मैंने उसके कानों मे सरगोशी की – तसल्ली रखो जानेमन, सितारों के आगे जहां और भी हैं.
मिशनरी पोजीशन मेरी पसंदीदा पोजीशन रही है और मैं अक्सर अपने सेशन का समापन इसी पोजीशन से करता हूँ।
इसलिए मैंने अपना लंड उसकी चूत में घुसाए हुए ही एक पलटी मारी और उसको पीठ के बल नीचे लिटाते हुए उसके ऊपर आ गया।
मैंने उसके नीचे से हाथ लिपटाते हुए उसका ज़ोर से भींचते हुए आलिंगन किया और होंठों को चूसते हुए आखिरी हमला शुरू कर दिया।
मैंने उसके गालों की ज़ोर ज़ोर से पुच्च पुच्च की आवाज़ करते हुए अनगिनत चुम्मियाँ लीं और फिर बारी बारी से कभी दायें तो कभी बाएँ गाल तो कभी ठोड़ी को पीते हुए लगातार धक्के मारने शुरू कर दिए।
बीच-बीच में गालों को मैं हल्के से कचकचा भी देता था।
पिंकू ने अपनी दोनों बांहों और टांगों से मेरी गर्दन और कमर को बुरी तरह जकड़ रखा था और वो उत्तेजना में आह्ह … आईईई … आह्ह … मा … उईईई … जैसी आवाजें कर रही थी और मुझे लगातार धक्के मार रही थी।
उसके नाखून मेरी पीठ पर गड़ते हुए अब चित्रकारी कर रहे थे।
मैंने अपनी टांगें उसके दोनों तरफ फैलाते हुए उसकी टांगें अंदर आने दीं।
अब उसको अपनी चूत से मेरे लण्ड को दबाने में आसानी हुई।
उस सेक्स क्वीन की Xxx चूत तेजी के साथ फूलते और सिकुड़ते हुए मेरे लौड़े को निचोड़ रही थी।
बिल्कुल ऐसा लग रहा था जैसे कि वो अपने होंठों से मेरे लौड़े को चूस रही हो।
उसकी क्लिटोरिस भी अपनी एक अलग ही अदा से फुरफुरी ले रही थी।
आखिर एक ज्वालामुखी की तरह मेरा लावा उबल उबल कर निकलने लगा और उसकी चूत भी फव्वारे छोड़ती हुई हम दोनों के रसों से लबालब हो गई।
हम एक साथ चरम-आनंद पर पहुंचे और निढाल होकर उसी पोजीशन में नीम बेहोशी में खो गए।
करीब 15 मिनट बाद मेरा वज़न अपने ऊपर महसूस करके पिंकू कसमसाई तो मेरी आँखें खुलीं।
उसका चेहरा बिल्कुल बेड के किनारे पहुंचा हुआ था।
मैंने धीरे से मेरे वीर्य और उसकी चूत के पानी से सना, ढीला पड़ा लौड़ा उसकी चूत से निकाला और सिरहाने की तरफ जाकर उसके गालों पर धीरे धीरे छुआने लगा।
उसने हल्का सा मुंह खोला तो मैंने लगे हाथों अपना लण्ड उसके मुंह में प्रवेश करवा दिया।
वो उसी नीम बेहोशी की हालत में उसे धीरे धीरे चूसने लगी।
उस समय पिंकू बिल्कुल बोतल से दूध पीते बच्चे की तरह मासूम लग रही थी।
लेकिन उसके मुंह का स्पर्श और उसकी नर्म चुसायी से मेरे लौड़े में फिर से हरकत आने लगी और वो सख्त होते हुए तनने लगा।
अब पिंकू शायद सोने की एक्टिंग ही करते हुए उसको पूरी कुशलता के साथ चूसने चाटने लगी।
कभी सुपारे को लेमन जूस की तरह चूसती तो कभी उसको जड़ से ले कर पूरी लंबाई तक आइसक्रीम की तरह जीभ से चाटती। कभी उसे बिल्कुल हलक तक ले कर ज़ोर ज़ोर से दबाती।
एक बार तो मैंने बाहर निकालने की कोशिश भी की लेकिन उसने अपने मुंह की पकड़ ढीली नहीं होने दी बल्कि अपने हाथ से भी कसकर पकड़ लिया।
अब उसने मेरी गोटियों को सहलाते हुए मेरे लौड़े को अच्छी तरह चूसा और मुझे दोबारा झड़ने पर मजबूर कर दिया।
वो सेक्स क्वीन मेरा पूरा वीर्य पी गई और चाट चाटकर मेरे लौड़े को साफ भी किया।
मैंने घड़ी देखी तो रात के नौ बज रहे थे।
मतलब हमारा यह धमाकेदार सेशन पूरे तीन घंटे चला था।
मैं गाउन पहन कर किचन में गया और तीन बड़े गिलास भर कर अनार का रस निकाल कर, उसमें वोड्का के डबल शॉट्स मिला कर ले आया।
सेक्स सेशन के दौरान पेट हल्का ही रहना चाहिए, नहीं तो पेट के दबने से एसिडिटी और डकारे वगैरा आती हैं और नींद भी आती है।
हमने जूस के साथ भुने मेवे टूँगते हुए अभी के वीडियो का आनंद लेना शुरू कर दिया जो कि मैं हमेशा बनाता हूँ।
मैंने पूरे घर में इसी मकसद से अलग अलग एंगल्स से ऑडियो विजुअल रिकॉर्डिंग वाले हाइ डेफ़िनिशन कैमरे फिट करवाए हुए हैं।
अभी हम सभी ने गाउन पहन लिए थे क्योंकि मेरा मानना है कि लगातार एक दूसरे को नंगा देखते रहने से कशिश फीकी पड़ जाती है।
पिंकू और सोनू की नाइटी काफी सेक्सी थीं जो कि मुझे और बेताब कर रही थीं।
मैंने मूवी के दौरान गौर किया कि सोनू बार बार कभी अपनी चूची तो कभी क्लिटोरिस छू रही थी लेकिन अपनी आदत के मुताबिक ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रही थी।
यह मूवी खत्म होते होते रात के 12 बज गए थे लेकिन हमारे लिए तो रात अभी जवान थी।
अब सोनू की झिझक पूरी तरह खत्म करने का प्रोजेक्ट था।
मैंने पिंकू को अलग लेजाकर उसके कानों में आगे का प्लान समझाया।
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