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माल भाभीजान की चुत लंड की मुंतजिर

  


नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम फरमान है ये नाम बदला हुआ है. ये मेरी पहली सेक्स कहानी है और एकदम सच्ची घटना है.

मैं दिल्ली से हूं, पेशे से ए सी का मैकेनिक हूँ. मेरी उम्र 30 साल है, कद 5 फुट 10 इंच है, रंग सांवला है.

ये सेक्सी हॉट भाभी चुदाई कहानी आज से 2 साल पहले की है.

एक दिन मुझे एक कॉल आई … वो शाम का समय था. उन दिनों गर्मी बहुत थी.

मैंने फोन उठाया और हैलो बोला.
दूसरी तरफ से एक बहुत प्यारी आवाज आई- हैलो आप एसी सुधारते हैं न!

पहली बार में ही मैं उस आवाज का फैन हो गया. बड़ी ही मधुर आवाज थी.
मैंने उन्हें बताया- हां जी क्या काम है?

उन्होंने मुझे फ़ोन पर ही अपने एसी की समस्या बताई.
मैंने कहा- जी, वो देख कर ही समझ आएगा कि दिक्कत क्या है.

उन्होंने कहा- हां तो आप आ जाइए … और समस्या ठीक कर दीजिए.
उन्होंने मुझे अपने घर पर एसी ठीक करने आने के लिए बोला.

मैंने भी खुशी से बोला- जी जरूर, आप सेवा करने का मौका दें.
उन्होंने हंस कर कहा- सिर्फ सेवा से ही एसी ठीक कर देते हो या कुछ चार्ज भी लेते हो?

जब वो हंस कर बोलीं, तो मैंने भी हंस कर कह दिया- जी … घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या!
वो बोलीं- चलिए मैं आपको अपने घर का पता भेज रही हूँ … घोड़े को घास पक्की मिलेगी.
मैंने भी हंस कर कहा- जी मैं आपके पते का इंतजार कर रहा हूँ.

फोन कट गया और कुछ ही पलों बाद उन्होंने मुझे अपने घर का पता भेज दिया.

उन्होंने मुझे पता भेजा था, उसमें उनका नाम मुंतज़िर लिखा था.

उसी दिन देर शाम को मैंने उनके घर पर विजिट की. उनके घर के बाहर पहुंच कर मैंने घंटी बजाई तो एक मिनट बाद मानो जन्नत का दरवाजा खुल गया था.

सामने एक हूर खड़ी थी. मैंने कहा- आप मुंतजिर मैडम!
उन्होंने संक्षिप्त सा जवाब दिया- जी … आप कौन?

उनके सवाल पर मैं कुछ बोल ही न सका बस उनकी खूबसूरत जवानी को आंखों से ही चोदने लगा.

सच में भाई … मैंने जब उस फ़ोन वाली लेडी को देखा, तो सन्न रह गया था. क्या हूर सी आइटम थी.
जितना उनसे बात करके अच्छा लगा था, उससे सौ गुना ज्यादा उन्हें देख कर अच्छा लगा.

मुंतज़िर का फिगर तो माशाअल्ला था. सांवले रंग का कसा हुआ 34-30-34 का गठीला बदन कयामत ढा रहा था.
एक पल के लिए तो मैं उन्हें देख कर ही पागल हो गया था.

उन्होंने अपने सवाल का जवाब न पाया तो दुबारा टोका- आप कौन!
मैंने सकपकाते हुए अपने होश ठीक किए और उन्हें अपना परिचय दिया कि मैं फरमान हूँ … आपका फोन आया था.

वो मुस्कुरा दीं और बोलीं- अच्छा वो घास खाने वाला घोड़ा!
मैं हंस दिया- जी हां आपका सेवक और घोड़ा दोनों ही.

उन्होंने अपने लाल होंठों पर एक प्यारी सी मुस्कान बिखेरी … और मुझे अन्दर आने का इशारा किया.

मैंने पूछा- घास का ढेर किधर है?
वो इस बार बहुत जोर से हंस दीं- मेरा एसी उधर लगा है.

मैं उस तरफ को गया और एसी को चैक करना शुरू कर दिया.
वो मोहतरमा मेरे करीब ही खड़ी हो गईं.

एसी चैक करते टाइम मेरी नजरें उन मोहतरमा से हट ही नहीं रही थीं, उनके रसभरे उभार मुझे हद से ज्यादा पागल कर रहे थे.

तभी दरवाजे पर किसी के आने की हलचल हुई.
ये मुंतज़िर के शौहर थे.

मैंने उनकी तरफ देखा तो मुंतज़िर ने मुझे बताया कि ये मेरे शौहर हैं.

मैंने अपने सर को हल्के से जुम्बिश देते हुए उन्हें आदाब किया और अपने काम करने में वापस लग गया.

उनके शौहर उधर से किसी दूसरे कमरे में चले गए.

कुछ देर बाद मैंने मुंतजिर से बोला- मैम, आपका एसी कल ठीक हो पाएगा.
उन्होंने कहा- कोई ख़ास वजह?
मैंने कहा- हां कुछ दिक्कत है, आज इसे सही करने के लिए जिस सामान की जरूरत है, वो अभी मेरे पास नहीं है और अब बाजार से भी अभी नहीं मिल सकेगा.

मैंने देखा कि मुंतजिर का चेहरा लटक गया था.

फिर एक पल बाद उनकी प्यारी सी आवाज में एक बार फिर मेरे कानों में मिठास बन कर घुल गई- आप हमारा एसी कल जरूर ठीक कर देना … गर्मी के दिन है … बहुत परेशानी है.

उस समय मई का महीना चल रहा था. आप तो जानते ही हैं कि मई के महीने में गर्मी बहुत होती है.

मैंने अपना बैग पैक किया और चलने को हुआ, तो मैडम ने कहा- कुछ घास एडवांस में भी चलेगी?
मैंने हंस कर उनके उठे हुए मम्मों को देखा और कहा- जी नहीं मैडम, मैं पूरी घास एक बार में ही खाऊंगा.

मेरी नजरों को मुंतिजर ने शायद समझ लिया था मगर इस बार उनकी तरफ से न तो हंसी आई और न ही कुछ गुस्सा दिखा.
बस उन्होंने ओके कह कर जाने का इशारा कर दिया.

मैं वहां से निकल कर अपने घर पर आ गया.

मुंतज़िर के फिगर का ख्याल मेरी खोपड़ी से निकल ही नहीं रहा था.

मैंने एक सिगरेट सुलगाई और मुंतजिर की भरी हुई मादक चुचियों का अहसास करने लगा.
कुछ ही में मेरा लंड खड़ा हो गया.

उस रात मुझे नींद ही नहीं आ रही थी. बस मुंतिजर की जवानी को ही अपने दिमाग से चोद चोद कर खुद को गर्म करता रहा.

ऐसे ही रात के 12 बज गए.
मुझे नींद नहीं आई, तो मैंने टॉयलेट में जाकर मुंतज़िर के नाम की मुठ मार कर लंड ढीला कर लिया.

अब मुझे कहीं चैन मिला … फिर मैं सो गया.

अगले दिन मेरी आंख सुबह 8 बजे मुंतज़िर के फोन से ही खुली.

फोन का नम्बर देखे बिना मैंने फोन कान से लगाया और अभी हैलो बोलने को हुआ ही था कि उस जन्नती आवाज ने मेरे लंड को फिर से झकझोर दिया.

उधर से आवाज आई- गुड मॉर्निंग फरमान.
मैं मुंतिजर की आवाज सुनकर खुशी से फूला नहीं समाया.
मैंने भी मुंतिजर को गुड मॉर्निंग का जवाब दिया.

उसी समय फोन में आवाज आई और समझ आया कि मुंतज़िर के हस्बैंड उसे आवाज दे रहे थे.

‘एसी वाले को फ़ोन कर दो … वो एसी ठीक करने सबसे पहले हमारे घर पर ही आ जाएंगे.’
मुंतज़िर ने कहा- हां जी, उन्हीं को फोन लगाया है और वो फोन पर हैं. क्या आप बात करेंगे?
उनके शौहर से कहा- नहीं तुम ही बोल दो न … मुझे निकलना है.

मुंतज़िर- हैलो फरमान … आज पहले मेरे घर ही आ आ जाओ. इसी लिए इतनी सुबह आपको फोन कर दिया है.
मैंने कहा- जी मैम … मैं दस बजे तक आपके घर आ जाता हूँ.

मुंतज़िर- दस बजे क्यों .. अभी ही आ जाओ!
मैंने कहा- हां यदि मेरे बस में होता तो अभी पंख लगा कर आ जाता.

वो हंस कर बोलीं- मतलब … कहीं शहर से बाहर चले गए हो क्या?
मैंने कहा- नहीं मैम … जो सामान लेना है, वो बाजार खुलने के बाद ही मिलेगा न … इसीलिए कहा कि मेरे वश में होता तो पंख लगा कर उड़ आता.

मुंतज़िर इस बार जोर से हंस पड़ीं और बोलीं- ओके बाबा … जितना जल्दी हो सके … आ जाना.

सुबह के 10 बजे अपने घर से निकल कर मैं अपनी एक परिचित की दुकान पर गया और उधर से सामान लेकर मैं मुंतज़िर के घर पर आ पहुंचा.

मैं ए सी ठीक करने लगा.
मुंतज़िर मेरे पास में ही बैठ गईं और मुझसे बात करने लगीं.

एसी ठीक करते टाइम का पता ही नहीं चला.
तभी दरवाजे पर किसी की आहट हुई … उस समय 1 बज रहा था.
मुंतज़िर के बच्चे स्कूल से घर आ गए थे.

उस वक्त मुझे पता चला कि मुंतज़िर के 2 बच्चे भी हैं. एक लड़की, जिसकी उम्र 10 साल थी और एक लड़का, जिसकी उम्र 8 साल थी.

मैंने मुंतज़िर से पूछा- ये आपके बच्चे हैं?
उनका जवाब था- जी हां.

मैंने बोला- लगते नहीं हैं कि आपके बच्चे हैं! ये तो आपके छोटे भाई बहन लग रहे हैं.
इस बात पर उन्होंने शर्माने वाली स्माइल पास करते हुए थैंक्स बोल दिया.

वो मुझसे खुश होकर बातें करने लगीं.

दो बजे तक मैं भी एसी रिपेयरिंग के काम से फ्री हो गया और मैं मुंतजिर से आम के पैसे लेकर अपने वर्कशॉप पर आ गया.

अगले दिन सुबह फिर से मेरी आंख मुंतज़िर के फ़ोन से 8 बजे खुली.
मुझे लगा कि फिर से एसी में कोई प्रॉब्लम हो गयी है.

मैंने फ़ोन उठाया.

मुंतज़िर- गुड मॉर्निंग फरमान कैसे हो!
वो मुझे विश करके बातें करने लगीं.

मैंने पूछा- सब खैरियत तो है? एसी में कोई दिक्कत आ गई है क्या, जो सुबह से ही बंदे को याद कर लिया.
वो हंस दीं और बोलीं- नहीं जी, एसी बिल्कुल ठीक चल रहा है.

मैं कुछ पशोपेश में था कि फिर फोन करने का क्या सबब हो सकता है.

तभी उन्होंने मुझे कहा- मैंने तो आपको थैंक्यू बोलने के लिए कॉल किया है.
मैंने लम्बी सांस लेते हुए कहा- खुदा खैर करे … मैं तो घबरा ही गया था कि आपकी नींद में खलल पड़ गया है.

इस बार वो और जोर से हंसीं.

मैंने भी हंस कर कहा- एक बात कहने का दिल कर रहा है .. आप कोफ़्त न करें तो कहने की इजाजत चाहता हूँ.
मुंतजिर- अरे कहिए ना … इसमें क्या गलत है!

मैंने धीरे से कहा- आपकी हंसी बहुत प्यारी है. सच में दिन बन जाता है मेरा.
वो फिर से खिलखिला पड़ीं- यदि मेरी हंसी से आपका दिन बन जाता है तो मैं रोज सुबह से आपको अपनी हंसी से उठा दिया करूंगी.
मैंने कहा- बड़ी मेहरबानी होगी मोहतरमा. घोड़े का दिन अच्छा बनेगा … तो उसे घास भी अच्छी मिलेगी.
मुंतजिर- अजी घास का क्या है … वो तो खुली पड़ी है … जब चाहे चर लो.

आज सेक्सी हॉट भाभी मुंतजिर की बात में कुछ अर्थ सा लगा. मैंने कुछ देर और बात की और फोन रख दिया.

फिर ऐसे ही हमारी रोज बात होने लगीं, इस तरह मेरी मुंतजिर से दोस्ती हो गयी थी.
मुंतज़िर को मेरा काम और मैं पसंद आ गया था.

बातों बातों में एक हफ्ता निकल गया था. एक दिन मुंतजिर ने मुझे अपने घर चाय पर बुलाया.

उस दिन मुंतज़िर ने मुझे प्रपोज़ कर दिया- फरमान आई लव यू!

पहले तो मुझे मजाक लगा.
मैं उनकी बात को मजाक में लेने लगा- क्यों मजाक कर रही हो मुंतजिर मैडम?
उन्होंने मुझसे बोला- आपको मजाक लग रहा है!

मैं चुप होकर उनकी तरफ देखने लगा. मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूँ.

तभी मुंतज़िर ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए.
मैं सकपका गया कि ये क्या हुआ. मुझे लगा कि कोई रसभरा पका हुआ फल पेड़ से टूट कर मेरी झोली में आ गिरा.

एक दो पल बाद मैंने भी बिना हील हुज्जत के मुंतजिर के रसभरे होंठों का रसपान करना शुरू कर दिया.

दो मिनट के किस के बाद मैंने उन्हें अपने से दूर किया और समझाया कि कोई आ जाएगा.

इस पर मुंतज़िर ने मुझसे कहा- आज मेरे घर पर कोई नहीं है. बच्चे नानी के घर गए है … ओर मेरे शौहर ऑफिस गए हैं. उनका सात बजे से पहले आने का कोई चांस नहीं है. मेरे घोड़े आज जितनी मर्जी हो घास चर लो.

ये कह कर मुंतजिर ने मुझे अपनी बांहों में कैद कर लिया. उन्होंने एक बार फिर से अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और चुम्बन शुरू हो गया.
उनके होंठों से मेरे होंठ पूरी तरह से लॉक थे.

तभी उन्होंने मेरा हाथ अपने मम्मों पर रख दिए और एक पल के लिए होंठ हटा कर बोलीं- ये बहुत पसंद हैं न आपको … आज से आपके हुए.

मेरा हाथ मुंतजिर के मम्मों पर कस गया और मैं उनके होंठों का रसपान करने लगा.
जल्दी ही हम दोनों एक दूसरे में इतना खो गए थे कि कुछ होश ही नहीं रह गया था.

अब मेरा हाथ मुंतजिर की चूत पर आ गया था … उनकी चूत से कामरस निकल रहा था.

मेरा लंड भी नब्बे डिग्री पर खड़ा होकर सलामी दे रहा था.

तभी मुंतजिर ने मेरे लंड की तरफ आगाज किया और मेरी फूली हुई पतलून के ऊपर ही अपने होंठों को मेरे लंड पर लगा कर एक किस कर दिया.

मैं मुंतजिर के मम्मों के साथ मस्ती कर रहा था.

तभी उन्होंने मेरे कपड़े निकालना शुरू कर दिए.
मेरे नंगे होते ही मुंतजिर ने लंड को मुँह में ले लिया और ब्लोजॉब देने लगीं.

कुछ ही देर में मुंतजिर चुदाई के लिए तैयार थीं. कुछ मिनट तक ब्लोजॉब देने के बाद मैंने मुंतज़िर को लंड से हटाया और उनके कपड़े निकालने लगा.

मुंतजिर नंगी हुईं तो मैं पागलपन की सीमा को पार कर चुका था. बेहतरीन बेदाग़ संगमरमर का बुत मेरी निगाहों के सामने नग्न खड़ा था.

मैंने पीछे से मुंतजिर की गांड की तरफ से लंड टिकाया और झटका दे मारा.

मुंतजिर के मुँह से ‘आह मर गईल्ला … धीरे करो न!’ आवाज निकलने लगी.

मैं नहीं रुका.

मुंतजिर- आह … फाड़ोगे क्या?’

मैंने उनकी बात को अनसुना करते हुए फिर से झटका मारा, तो आधा लंड चुत को चीरता हुआ अन्दर धंस गया था.

उन्होंने मेरी पीठ पर नाखून गड़ा दिए थे- रुको न मेरे घोड़े … घास खाने के लिए कहा था … जान लेने के लिए नहीं.

मैंने हंस कर उन्हें चूमा और उनके दूध मसलने लगा.
एक दो पल बाद उनको लंड से राहत सी मिली और उन्होंने गांड उठा कर फिर से चुदाई का इशारा किया.

मैंने अपना लंड उनकी चूत में आगे पीछे किया और तेज तेज धक्के लगाने लगा. अब मैं मुंतज़िर की ताबड़तोड़ चुदाई कर रहा था.

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मेरे लंड से मेरा कामरस निकलने वाला था.

मैंने उनसे कहा- मेरा निकलने वाला है … कहां निकालूं?
तभी मुंतज़िर ने मुझसे बोला- मेरे मुँह में निकालना.

मुंतजिर की ये बात सुन कर मैंने अपना कामरस उनके मुँह में निकाल दिया.
सेक्सी हॉट भाभी अपने मुँह में पूरा कामरस निगल गईं और मेरा लंड अपने मुँह से चाट कर साफ कर दिया.

चुदाई के बाद हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे. मैं मुंतजिर के मम्मों के साथ मस्ती करता रहा.

कुछ देर के बाद मेरा लंड एक बार फिर से चुत चुदाई के लिए तैयार था.

मैंने लंड मुंतजिर को चुसाया और अभी वो कुछ समझ पातीं कि मैंने लंड मुँह से बाहर खींचा और चुत में पेल दिया.

अबकी बार एक ही झटके में मेरा पूरा लौड़ा मुंतज़िर की चुत में अन्दर तक चला गया था. उनकी फिर से तेज सीत्कार निकल गई और मुझे जालिम जानवर कह कर वो अपनी गांड उठाने लगीं. धकापेल चुदाई होने लगी.

कोई बीस मिनट बाद मैंने इस बार उनकी चुत में ही अपना माल छोड़ दिया.

ये सिलसिला करीब एक साल तक चला, फिर मुंतजिर कहीं और चली गईं. उनके शौहर का तबादला हो गया था.


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