दोस्तो, मेरा नाम कमल (बदला हुआ नाम) है। मैं अन्तर्वासना की कहानियां बहुत रूचि लेकर पढ़ता हूं।
मेरा मन किया कि मैं भी आप लोगों को अपने जीवन की एक गांड मारी स्टोरी बताऊं जो मेरी अपनी चुदाई की स्टोरी है।
ये बात तब की है जब मैं 18-19 वर्ष का था। मार्च का महीना था। हमारे राजस्थान में उस वक्त सरसों कटने लगती है और उस वक्त खलिहान बना कर सरसों उसी में झाड़ते थे।
सरसों की ट्रैक्टर से गहाई होती थी। रातों को रखवाली के लिए एक व्यक्ति को वहीं सोना पड़ता था।
एक दिन शाम को चाचा का लड़का और मैं वहीं थे। हम दोनों भाई को वहीं रुकना था, वहीं सोना था।
तब चाचा खाना खाने आ गया तो मेरा भाई बहुत तगड़ा मस्त जवान था। मैं गोरा और बहुत सुन्दर लड़का था।
भाई को शरारत सूझी और उसने मुझ से कहा- कमल, कुछ देखेगा?
मैंने कहा- हां, लेकिन क्या?
मैं सोच रहा था कि वो पोर्न या चुदाई वाली वीडियो देखने की बात कर रहा होगा।
मगर अगले ही पल उसने अपनी पैंट खोली और अंडरिवयर नीचे करके लंड निकाल लिया, उसको हाथ में लेकर हिलाने लगा।
वो बोला- कैसा है?
मैं हंसने लगा और शर्म भी आ रही थी।
मैं बोला- मुझसे क्या पूछ रहे हो।
वो बोला- बता तो सही, कैसा है?
मैंने कहा- अच्छा है।
वो बोला- तेरा दिखा, कैसा है?
मुझे शर्म आने लगी तो भाई ने मेरी पैंट खोल दी। फिर मेरी पैंट को नीचे करके मेरा अंडरवियर भी निकाल दिया।
उसने मेरे लंड को हाथ से सहलाया। मुझे अच्छा लगने लगा।
फिर उसने मेरे हाथ को अपने लंड पर रखवा दिया और बोला- तू भी मेरे लंड के साथ ऐसे ही कर!
मैं भैया का लंड सहलाने लगा।
देखते ही देखते उसका लंड बड़ा और सख्त हो गया। उसका लंड बहुत गर्म था।
मुझे उसके लंड को सहलाने में मजा आ रहा था।
इस वजह से मेरा लंड भी पूरा तन गया था।
हम दोनों मजे ले रहे थे। फिर उसने नीचे झुक कर मेरे लंड को मुंह में ले लिया।
मैं ये देखकर अचंभित हो गया।
एक दो बार उसने मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसा और ऊपर नीचे किया।
मुझे बहुत मजा आया।
फिर उसने बोला- अब तेरी बारी है, मेरे साथ भी ऐसा ही कर।
मैं भी नीचे झुका और भैया के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगा।
अब धीरे धीरे मेरी शर्म भी खत्म हो गई थी; मुझे बहुत मजा आ रहा था लंड चूसने में!
थोड़ी देर में उनके लण्ड से पानी मेरे मुँह में निकल गया।
मैं लगातार उनका लण्ड चूस रहा था मुझे मालूम भी नहीं था कि लण्ड से कुछ निकलेगा।
उनके लण्ड का माल मेरे मुँह में जाते ही कुछ अंदर गया। कुछ मुँह में मुझे थोड़ा खराब खराब जैसा लगा।
जो मुँह में था वो मैंने बाहर थूक दिया।
उसके बाद भैया का लंड वापस से सो गया।
भैया ने मेरे लंड की मुट्ठ मारी और मेरा पानी भी निकलवा दिया।
उस दिन पहली बार मेरे लंड में से पानी निकला था।
एक बार तो मुझे लंड में बहुत जलन हुई और फिर मजा आया।
उस दिन के बाद से ये सिलसिला अब रोज चलने लगा।
वो मेरा चूसते, मैं उनका चूसता।
तीन चार दिन बाद जब एक रोज वो मेरा लंड चूस रहे थे तो मेरी गांड में थूक लगाकर उंगली करने लगे और लण्ड चूसते रहे।
ये अनुभव मुझे और ज्यादा अच्छा लगने लगा।
फिर हम एक दूसरे का लंड चूसते और भैया मेरी गांड में उंगली करते।
मैं गांड में उंगली लेते हुए उनका लंड चूसता और मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा।
अब मैं भैया का लंड चूसे बिना और गांड में उनकी उंगली का मजा लिए बिना नहीं रह पाता था।
एक दिन इसी आनंद में मैं भैया के लंड का माल भी पी गया।
मुझे बहुत आनंद आया।
इस मजे के साथ उनका लण्ड चूस कर माल पीना बहुत अच्छा लग रहा था मुझे!
अब मैं खुद उनको रोज शाम को खेत में चलने के लिए बोलता था।
एक दिन हम खेत में गये।
भाई बोला- आज मैं तेरे को कुछ सिखाता हूं।
मैंने कहा- सिखाओ।
भाई बोले- जैसे मैं बोलूं वैसे ही करना!
मैं बोला- ठीक है।
मुझे भाई ने पूरा नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया।
भाई को नंगा देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने भाई को पूरा लिपट कर पकड़ लिया।
वो बोला- रुको!
उसने मेरे लण्ड को मुँह में लिया और कई मिनट चूसा।
फिर बोला- अब तुम मेरे पैर उठा कर गाँड पर थूक लगाओ और लण्ड डाल दो।
मैंने वैसे ही किया; गाँड पर थूक लगाया और लण्ड पर भी!
मेरा लण्ड भाई के लण्ड से आधे से भी छोटा था, एक झटके में अंदर चला गया।
भाई हिले भी नहीं और बोले- झटके मारो, आगे पीछे करो।
मैंने आगे-पीछे करना शुरू किया, मुझे बहुत मजा आने लगा।
लण्ड गांड में घुसते ही इतना मजा आया, ऐसा महसूस हो रहा था कि गांड के अंदर हीटर चल रह हो।
हल्की ठंडी के दिन थे और भाई की गाँड की गर्मी ने पूरा मदहोश कर दिया मुझे!
भाई बोले- कैसा लग रहा है कमल?
मैं बोला- भाई, बहुत मजा आ रहा है।
भाई बोला- अब तू और मैं पति पत्नी रहेंगे।
मैं बोला- सच्ची बोले?
वो बोले- हाँ।
मैं बोला- मेरी रानी, कैसा लग रहा है?
भाई बोले- मेरे राजा, बहुत मजा आ रहा है … जोर से झटके लगाओ।
मैं बहुत जोर जोर से झटके मार रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था।
हम दोनों की सांस फूल गई थी।
मुंह से आह आह … ओह ओह … की मस्त आवाजें निकल रही थीं।
मेरा मेरा माल निकल गया और गांड में छूटकर अंदर भाई के पेट में चला गया।
मुझे इतना मजा आया कि मैंने सोचा भी नहीं था कभी।
मैंने लण्ड बाहर निकाला और भाई ने चाट कर साफ कर दिया।
अब ये रोज होने लगा।
ऐसे करते करते कब गर्मी आ गई मालूम ही नहीं चला। गर्मियों में सेक्स कम हुआ मगर एक दो दिन छोड़ कर होता था।
अब बरसात के दिन आ गए।
हम दोनों पहाड़ी में भैंस चराने जाते थे।
एक दिन पहाड़ी पर कोई नहीं था हम दोनों के सिवाय।
दिन दोपहर का वक्त था।
भाई ने मुझे नंगा कर दिया और लण्ड चूसने लगा।
मुझे बहुत मजा आने लगा।
उसके बाद मेरी गाँड में उंगली डाल दी और लण्ड चूसने लगा।
थोड़ी देर बाद मेरी आँखें बंद होने लगीं।
उसने मुझे छोड़ दिया और बोला- आज मैं तेरा पति बनूँगा।
मैंने कहा- ठीक है। मैं तैयार हूं आपकी पत्नी बनने के लिए।
भाई ने मेरी गांड पर थूक लगा दिया। अपने लण्ड को भी थूक में कर लिया और मुझे पहाड़ी पर एक पत्थर की सपोर्ट में घोड़ी बना दिया और एक झटका मारा।
उनका लण्ड मेरी गांड में घुसते ही मेरी जान निकल गई।
मैं बहुत जोर से चिल्लाया लेकिन सुनसान था और वहां कोई था नहीं।
मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं लंड निकालने के लिए कहता रहा लेकिन उन्होंने मेरी सुनी नहीं।
फिर धीरे धीरे मेरा दर्द कम हुआ।
उन्होंने लण्ड धीरे धीरे आगे पीछे किया।
फिर मुझे थोड़ा ठीक लग रहा था।
अभी भी दर्द तो हो रहा था मगर पहले के जैसे नहीं।
उन्होंने लण्ड बाहर निकाला और गाँड को बहुत थूक लगाया और लण्ड को भी और फिर से एक जोर से झटका मारा।
मेरी फिर से जान निकल गयी।
मैंने उनको धकेलना चाहा लेकिन वो नहीं रुके, मुझे चोदते रहे।
आज मुझे समझ आ गया कि ये मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं इतने दिन से!
पहले उनको डर था कि मैं किसी को कह दूंगा मगर अब मैं उनके जाल में फंस चुका था।
इस दर्द के साथ करीब 15 मिनट हो गई लेकिन वो छोड़ नहीं रहा था।
अभी तक चुदाई सही से शुरू भी नहीं हुई थी। फिर जब उन्होंने चोदना शुरू किया तो मुझे जलन होती रही।
मगर फिर मेरा दर्द जाने लगा, फिर मुझे अच्छा लगने लगा।
कुछ देर उन्होंने चोदा और फिर लंड को बाहर निकाल लिया।
लंड निकाल कर उन्होंने सीधा मेरे मुंह में डाल दिया।
लण्ड चूसने की तो मुझे पहले से बहुत अच्छी आदत लग चुकी थी, मैंने लण्ड खूब चूसा।
अब उन्होंने फिर से गाँड में थूक लगाया और लण्ड गाँड पर टिका कर जोर से झटका मार दिया।
अब पहले के जैसे दर्द नहीं हुआ और लण्ड पूरा अंदर चल गया।
असली चुदाई अब शुरू हुई। भाई अब मुझे रगड़ कर चोद रहा था, मुझे बहुत आनंद आ रहा था।
वो जोर जोर से झटके मारे जा रहे थे, एक के बाद एक झटका लग रहा था।
मुझे दर्द भी हो रहा था लेकिन मजा भी आ रहा था।
मेरी गाँड से खून निकलने लगा था।
मैंने उनको रोकना चाहा लेकिन वो नहीं रुके।
दोनों की आह् … आह्ह … आह्ह … की आवाज निकल रही थी।
फिर उनकी स्पीड पूरी तेज हो गई और एकदम से उनका पानी छूटने लगा।
उन्होंने मेरी गाँड माल से भर दी और हट गया।
भाई ने लण्ड बाहर खींचा तो देखा पूरा लण्ड खून में नीचे से ऊपर लाल हो गया था।
मैंने गांड को हाथ लगा कर देखा पूरा खून ही खून था। मैंने महसूस किया कि गाँड में हाथ अपने आप जा रहा है।
गांड भी पूरी तरह फैल गई थी और मैं डर गया।
मै गांड पर हाथ लगाकर नीचे बैठ गया और बैठते ही छेद और ज्यादा खुल गया।
मेरी गांड से खून और वीर्य दोनों बहने लगे।
भाई को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
वो बोले- आज से तू मेरी पत्नी है।
उन्होंने मुझे उठा लिया।
दोनों फिर से लिपट गए।
उस दिन पहली बार मैंने भाई को किस किया।
फिर हम अलग हो गए।
मेरे से चला नहीं जा रहा था।
हमने पहाड़ी पर ही एक पशुओं के पानी पीने के गड्ढे़ में खून साफ किया और कपड़े पहन कर घर आने लगे।
मुझे बहुत दर्द हो रहा था।
जैसे तैसे मैं घर की ओर जा रहा था।
मेरी माँ मुझे रास्ते में मिल गई।
मुझे देख कर हैरान हो गई और बोली- क्या हुआ?
मैंने कह दिया कि गिर गया था और फिर आगे जाने लगा।
वो मेरी खामोशी समझ गई।
मैं जाने लगा तो वो पीछे-पीछे आ गई।
वो बोली- मैं समझ गई हूं क्या हुआ है तेरे साथ! अब ये बता दे कि किसने किया है?
मैं कुछ नहीं बोला।
इतने में भाई भी पीछे से आ गया।
मां भाई के पास जाकर बोली- तूने अभी से इसकी गांड मारी, इतना बड़ा कैसे झेला होगा इसने?
वो दोनों हंसने लगे और मैं हैरान हो गया।
मां ने मेरे पास आकर मेरी पैंट खोल दी।
मैं पहले तो डर गया, फिर मां ने कहा- पीछे मुड़ो और झुको।
उसने देख कर कहा- उसका लण्ड तू कैसे झेल गया?
इतना बोलते ही मेरा लन्ड खड़ा हो गया और मां ने कहा- तेरी पूरी गाँड फाड़ दी उसने! चल तेल लगाती हूँ।
हम घर आ गए।
मां मेरी गाँड में तेल लगा रही थी। तभी उनका हाथ थोड़े से दबाव से ही अंदर जाने लगा।
मां तेल लगाते लगाते हाथ अंदर कर रही थी। उनकी पूरी उंगली एक साथ आराम से अंदर जा रही थी।
वो धीरे धीरे ऐसे ही कर रही थी। मेरा लण्ड खड़ा था।
मां ने एक हाथ लण्ड पर रख दिया। मुझे मजा आने लगा।
वो बोली- अभी तुझे उससे बचना था, उसका बहुत बड़ा लण्ड है।
मैं बोला- आपने कब देखा?
वो बोली- जब से तू उसका लण्ड चूसता है।
मैं चुप हो गया और मां बोली- कैसा लगा तुझे उसका लण्ड?
मैं बोला- बहुत अच्छा, मगर दर्द बहुत हुआ।
वो बोली- अब हो रहा है?
फिर मैं बोला- हाँ, मगर कम है।
इतने में मां ने उसको बुला लिया।
वो भाई से बोली- गांड में तेल लगाकर करना था तुझे हरामी!
वो बोला- रोज इसकी गांड में उंगली करता था। मुझे लगा ये झेल लेगा। वैसे शुरू में तो होता ही है। तुम्हें भी तो हुआ था।
माँ बोली- कोई बात नहीं, अब मेरे सामने शुरू करो।
उसने मेरी मां के सामने ही लण्ड डाल दिया। मुझे बहुत मजा आ रहा था। उसके बाद उसने मुझे चोदना शुरू किया।
मैं मस्ती में चुदवाने लगा।
मां बोली- कमल, तू तो बहुत बड़ा गांडू बन गया। इस हरामी ने बहुत बुरा किया।
फिर मां मेरा लण्ड चूसने लग गई।
मुझे बहुत मजा आया दोस्तो … मेरी गांड में एक मस्त लंड जा रहा था और उधर से मेरे लंड को चूसने का भी मजा मिल रहा था।
मेरी गांड से फिर खूने आने लगा।
मां बोली- आराम से कर हरामी। इसकी गांड फट गई है।
वो बोला- नहीं, इसे ऐसे ही चुदने में मजा आ रहा है। तेरी चूत से ज्यादा मजा तो मुझे इसकी गांड मारने में आ रहा है।
वो ऐसे ही मेरी गांड को रगड़ कर चोदता रहा। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था। फिर चोदते हुए उसने माल मेरी गांड में ही छोड़ दिया।
दोस्तो, इसके बाद तो मेरी किस्मत ही खुल गई।
आगे मेरे साथ और क्या क्या हुआ वो मैं आपको अपनी आने वाली कहानियों में बताऊंगा।
आपको मेरी पहली गांड मारी की ये कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना कमेंट्स करके!
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