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किरायेदार लड़की की कुंवारी चूत मैंने खोली

  


नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम नमन सिंह है। मैं लखनऊ, उत्तरप्रदेश का रहने वाला हूं। मेरी हाइट 5 फीट 7 इंच है और रंग सांवला है। मैं एक औसत दिखने वाला लड़का हूं।

आज मैं अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हूँ। आशा करता हूं कि यह आपको पसंद आएगी।
मेरी ये कहानी मेरी किरायेदार लड़की के साथ मेरी लाइफ के पहले सेक्स की सच्ची यंग टीन सेक्स कहानी है।

आज से दो साल पहले जब मेरी उम्र 20 साल थी तब हमारे घर के बाहर वाले कमरे में एक नए किरायेदार आये।
वो एक अंकल थे जो किसी सुपर स्टोर में नॉकरी करते थे।

उनकी बेटी मुझसे एक साल छोटी थी, 19 साल की …
यहाँ मैं लड़की का नाम शायबा लिख रहा हूँ। यह वास्तविक नहीं है क्योंकि मैं उसकी गोपनीयता के साथ खिलवाड़ नहीं करूंगा।

उस टीन गर्ल का फिगर बहुत मस्त था।
उसका फिगर 32-30-34 का था जो मैंने बाद में खुद अपने हाथ से नाप कर देखा था।

उसके भरे हुए चूचे जो कि एकदम तने हुए और सख्त दिखाई देते थे, उनको देखकर ही जोर से दबाने का मन करता था।
उसको पहली बार देखते ही मैं उसको सेट करने के जुगाड़ में लग गया था।

वो अपनी ग्रेजुएशन के फर्स्ट ईयर में थी।

तो अब काम की बात शुरू करते हैं।
अंकल सुबह 10 बजे दुकान के लिए निकल जाते और रात में 8 बजे वापस आते थे। शायबा रूम पर दिन भर अकेली रहती थी।

वो दोपहर 2 बजे सिर्फ कोचिंग जाती थी, फिर 4 बजे तक वापस आ जाती थी।

उसके रूम का दरवाजा मेरे रूम के बिल्कुल सामने था जहाँ से मैं बैठकर उसको देखता रहता था।

एक दिन शायबा ने भी मुझे नोटिस किया मगर उसने जैसे ही मेरी तरफ देखा तो मैंने नजर हटा ली।

ऐसे ही 2-3 दिन तक चलता रहा।

फिर एक दिन जब उसने मेरी तरफ देखा तो मैं भी एकटक उसको देखता रहा।
यहाँ से हमारा खामोशी वाली बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ।

हम दोनों बस एक दूसरे को बार बार देखते रहते थे।
न वो कुछ इशारा देती थी और न ही मैं उसको कुछ संकेत देता था।

हां, मगर मुझे इतना तो पता था कि उसके मन में भी कुछ चल रहा था।

कुछ दिन तक ऐसे ही एक दूसरे की आंखों में देखने के बाद एक दिन वो अपनी कॉपी लेकर मेरे पास कुछ पूछने आयी।
मैंने उसकी प्रॉब्लम सॉल्व करने के बाद उसकी कॉपी में अपना नम्बर लिख दिया और वो मेरे रूम से चली गयी।

मैं जानता था कि वो कॉल जरूर करेगी।

अगले दिन उसके पापा के जाने के बाद उसने मुझे फ़ोन किया- कॉपी में नम्बर लिखने की क्या जरूरत थी, वैसे ही बता देते!
तो मैंने कहा- वैसे हिम्मत नहीं हो रही थी।
वो बोली- मैं खा थोड़ी जाऊंगी तुम्हें?

तो मैंने कहा- तुम नहीं खाओगी लेकिन सामने वाले की मर्जी के हिसाब से ही बात करनी चाहिए न?
वो बोली- हां, ये तो सही बात है।

फिर इस तरह से हम दोनों की उस दिन काफी सारी बातें हुईं। अब फोन पर खुलने के बाद हम दोनों घर में भी अक्सर बातें कर लिया करते थे।
धीरे धीरे मेरी तड़प बढ़ती जा रही थी।

जब भी मैं शायबा को टीशर्ट में या कसे हुए सूट में देखता था तो उसको पकड़़ कर चोदने का मन करता था।
मगर समझ नहीं आ रहा था कि मैं सेक्स की बात कैसे शुरू करूं।

इसलिए अब मैंने चैट में उससे सेक्स के बारे में बात करना शुरू किया।
धीरे धीरे वो भी खुलने लगी।

मैं उससे पूछा करता कि तुम नीचे के बाल रखती हो या साफ करवा लेती हो।
इस पर वो बताती कि खुद ही साफ कर लेती हूं।

वो भी मेरे नीचे वाले हिस्से के बारे में अक्सर सवाल पूछा करती थी।
इस तरह से लंड-चूत के बारे में बातें करते हुए हम दोनों ही गर्म हो जाते थे।

धीरे धीरे दो महीने बीत गये।

अब तक हम दोनों काफी खुल चुके थे।

एक दिन मैंने उससे उसके बूब्स की फोटो मांग ली।
वो बोली- मैं फोटो नहीं दूंगी।
मैंने कहा- प्लीज … शायबा। एक बार दिखा दो।

वो बोली- नहीं, मैं नहीं दिखा सकती।
मैंने कहा- मगर क्यूं?
उसने कहा- ऐसे ऑनलाइन सेफ नहीं होता है। कहीं किसी और ने देख ली तो?

मैंने कहा- तो फिर मैं तेरे रूम में आ जाऊं क्या? तब तो दिखा दोगी?
वो बोली- दिमाग खराब है क्या? मुझे भी फंसवायेगा?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा यार … बस 5 मिनट की ही तो बात है। बस एक बार टीशर्ट उठा देना, प्लीज?

वो बोली- ठीक है, मगर जब मैं कहूंगी, तब आना।
मैंने कहा- ओके।

उस रात हम बातें करके सो गए।

अगले दिन उसने दोपहर के वक्त मुझे मैसेज किया और बोली- आ जा जल्दी!
मैं फटाक से उठा और बाहर निकल कर यहां वहां देखा।

दोपहर का वक्त था और कोई भी आदमी बाहर नहीं दिखाई दे रहा था।
मैं जल्दी से उसके रूम में घुस गया।

हम दोनों ही थोड़ा हिचक रहे थे।
मैं पहली बार ऐसा कुछ करने जा रहा था।
वो भी शायद इसी स्थिति में थी।

हमने थोड़ी नॉर्मल बातें कीं तो फिर शर्म भी जाने लगी।
उसके बाद मैंने बोला- दिखा ना यार अब … मैंने कभी किसी लड़की की (बूब्स) नहीं देखी हैं।

उसने धीरे से अपना टीशर्ट ऊपर कर दिया। उसने नीचे गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी। उसकी गोरी गोरी कसी हुई दूध सी सफेद चूचियां उनमें बहुत ही हॉट लग रही थीं।

मैंने कहा- यार … थोड़ा और उठा प्लीज … ऊपर!
उसने थोड़ा और ऊपर कर दिया।
मैंने एकदम से उसकी चूचियों को हाथों में भर लिया।

उसने मेरे हाथ हटा दिए।
वो बोली- क्या कर रहा है, सिर्फ देखने की बात हुई थी।
मैंने कहा- यार, मैं खा थोड़ी रहा हूं तुझे। बस टच ही कर रहा हूं। मान जा प्लीज। एक बार छूने तो दे?

फिर उसने कुछ नहीं बोला तो मैंने उसकी सहमति ही समझी। वैसे भी मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था और मैं बस उसकी चूचियों का स्पर्श पाना चाह रहा था।

उसने टीशर्ट उठाया तो मैंने फिर से उसकी चूचियों को पकड़ लिया। मैं उनको दबाने लगा तो वो हटाने लगी।
मगर अब पता नहीं मेरे अंदर कैसी हवस जागी कि उसके हटाने के बाद मैं फिर से उसकी चूचियों को पकड़ कर भींचने लगा।

वो हटाती रही और मैं दबाता रहा। अब मेरा मन करने लगा कि बस इसकी लोअर उतार कर इसकी चूत में लंड देकर चोद दूं इसको। मेरे ऊपर हवस भारी हो गई थी।

मैंने उसको नीचे गिरा लिया और जोर जोर से उसके बूब्स दबाते हुए उसके होंठों को चूमने की कोशिश करने लगा।
वो मुझे धकेलने की कोशिश कर रही थी और कह रही थी- नमन … कोई आ जाएगा … आह्ह … यार … क्या कर रहा है … हट प्लीज।

मगर मैं कुछ सुन ही नहीं रहा था। मैंने उसकी टीशर्ट को उतरवा दिया और उसकी चूचियों में मुंह देकर ब्रा के ऊपर से ही किस करने लगा।
मेरी हवस बढ़ती जा रही थी।

वो मुझे हटा रही थी और मैं उसकी ब्रा खोलने में लगा था।
एकदम से मैंने उसकी ब्रा खोल दी और उसकी चूचियां नंगी कर दीं।
उसने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को छिपा लिया।

मैंने कहा- हटा ना यार शायबा … देखने दे … प्लीज!
वो बोली- नहीं … तू बहुत अपने मन की कर चुका। मैं अब नहीं मानूंगी तेरी बात!
मैंने उसके हाथ पकड़े और हटा दिए।

उसकी तनी हुई रसीली गोरी गोरी चूचियां देखकर मैं पागल हो गया और उनको पीने लगा।

वो मुझे पीछे धकेलने लगी लेकिन मैं उनको आपाधापी में पीता रहा।

धीरे धीरे मैंने शायबा को नीचे दबा लिया और उसकी चूचियों को जोर जोर से भींचते हुए पीने लगा।
उसके मुंह से निकल रहा था- आह्ह … नमन … आह्ह … प्लीज … आह्ह … यार!

मगर मैंने उसकी चूत के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को उसकी जांघों के बीच में रगड़ना शुरू कर दिया और उसकी चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसने लगा।

वो ऊं… ऊं … गूं … गूं … करती रही और फिर धीरे धीरे उसके हाथ मेरी कमर को सहलाने लगे।
अब वो मुझे बांहों में पकड़ कर मेरे होंठों को चूसते हुए मेरा साथ देने लगी।

हम दोनों अब इतने उत्तेजित हो गए कि मैं उसके होंठों के साथ साथ उसकी ठुड्ढी, गाल, गला हर जगह चूम चाट रहा था; बीच बीच में काट भी लेता तो वो चिहुँक उठती।

मेरा एक हाथ उसके चूतड़ों के ऊपर उसकी कमर पर और दूसरा हाथ उसकी कनपटी पर बखूबी चल रहा था।
मैंने पहले भी कई कहानियों में पढ़ा था कि इन जगहों पर रगड़ने से लड़की बहुत ही गर्म हो जाती है।

उसकी तेज सांसें मेरे सही होने का सबूत दे रही थीं।

ऐसे ही किस करते करते मैंने उसे बेड पर दबा लिया फिर अपने हाथ को उसकी गांड के नीचे से निकाला और उसके चेहरे की तरफ देखा।

वह बस आंखें बंद किये हुए पड़ी थी।

मैंने उसको काबू में करके गर्म कर दिया था; अब बस उसको चोदने की बारी थी।

जल्दी से मैंने अपने कपड़े उतार फेंके और नंगा होकर मैं उसकी बगलों को चाटने लगा।
हमारी हाथापाई में उसके बदन में पसीना आ चुका था।

मैं उसके पसीने की गंध में खो गया और उसके बदन को ऊपर से नीचे तक खूब सूंघा।
एकदम गोरा और संगमरमरी बदन था शायबा का!

मैंने अपने होंठ उसकी नाभि पर रखे और धीरे-धीरे जीभ से नाभि में गुदगुदी करने लगा।

वो बस अपने चेहरे पर हाथ रखे हुए सिसकारियां भर रही थी।
उतनी ही देर में मैंने उसकी लोअर भी उतार फेंकी; फिर उसकी जांघों का चुम्बन लेते हुए दांतों से दबाकर वो पैंटी भी निकाल दी।

अब शायबा मेरे सामने अपना चेहरा ढके हुए बिल्कुल नंगी लेटी थी और चूतरस में भीगी उसकी चूत बिल्कुल पाव रोटी सी फूली लग रही थी।

मैं धीरे से अपने हाथ उसके चूतड़ों के नीचे ले गया और वे डबलरोटीनुमा चूतड़ सहलाते हुए उसकी चूत की खुशबू लेने लगा।

तभी मैंने उसके चूतड़ों को जोर से भींच दिया।
वो अचानक चिहुंकी और हल्की सिसकारी लेते हुए उछली और उसकी चूत सीधे मेरे मुँह में आ लगी।

मैंने बिना देरी किये उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
मेरे हाथ उसके मम्मों को मसल रहे थे और उसने मेरे सिर को अपनी टांगों के बीच फंसा रखा था।

साथ ही वो अपनी हथेलियां मेरे हाथों पर रखकर जोर जोर से अपने चूचे मसलवा रही थी।

तभी मैंने उसकी छाती को सहारा देते हुए उसे उठाया और वैसे ही अपने कंधे पर बिठाकर बगल की दीवार के सहारे खड़ा हो गया।

अब मैं उसे अपनी जीभ से जोर जोर से चोदने लगा और कुछ सेकण्ड में ही उसका पानी छूटने लगा जो मेरे चेहरे से बहते हुए मेरे लण्ड तक जाने लगा।

इससे मुझमें एक अलग ही मस्ती आ गई।

फिर मैंने उसे अपने बराबर पर खड़ा किया और उसका एक पैर अपने कंधे पर रखा.
अब वो समझ चुकी थी कि उसकी सील टूटने का समय आ चुका है।

उसने मुझे हग किया और मेरे कान के पास मुँह लाकर धीरे से बस इतना बोली- आराम से करना!
फिर वो मेरी छाती से लिपटे हुए मेरे गले की साइड में चूमने-चाटने लगी।

तभी मैंने अपनी कमर को हल्का सा पीछे करके अपना लौड़ा उसकी चूत पर सेट करके एक हल्का सा शॉट लगाया और मेरा सुपारा उसकी बुर में धंस गया।

उसकी मन्द हुई सांसों की आवाज फिर से तेज हुई और उसने मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा दिये और मेरी गर्दन पर काट लिया।

अगले ही पल मुझे धक्का देकर उसने हटाने की कोशिश की, साथ ही ना नुकुर करने लगी।
मगर मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर में फंसा रखे थे जिससे वो चाह कर भी अलग नहीं हो सकती थी।

अब मैंने उसे किस करना शुरू किया तो वह जैसे अपने दर्द को भुलाने के लिए मुझे बेतहाशा चूम रही थी।
ऐसा लग रहा था कि मेरे होंठ, जीभ को चूस चूसकर खा जायेगी।

साथ में मैंने अपनी कमर को भी चलाना शुरू किया, मेरे हर धक्के के साथ ही उसकी हूं … हूं … ऊंह्ह … ऊंह्ह … की आवाज आती जो मेरे मुंह में दब जाती।

अब धीरे धीरे मैं आराम से उसे चोदने लगा।
उसकी टाइट गर्म चूत को चोदते हुए जो आनंद मुझे मिल रहा था वो मैं आपको ऐसे शब्दों में बयां नहीं कर पाऊंगा।
जिन्होंने कुंवारी चूत चोदी है वो मेरी फीलिंग को समझ पाएंगे।

अब शायबा भी मुझसे पूरी तरह लिपट रही थी। वो भी अपनी तरफ से चूत को मेरे लंड पर सटा रही थी।

ऐसे ही 10-15 मिनट सेक्स करने के बाद मुझे लगा कि मेरा होने वाला है क्योंकि शायबा की चूत की गर्मी मेरा लंड ज्यादा देर झेल नहीं सका।

तो मैंने अपने धक्कों की स्पीड तेज कर दी और कुछ 15-20 धक्कों के बाद हम दोनों एक साथ में झड़ गये।
हम दोनों की सांसें भारी हो रही थीं।

वैसे ही कुछ देर लिपटे रहने के बाद जब अलग हुए तो उसका एक पैर हमारे वीर्य और उसके खून से रंगा हुआ था।

मैंने शायबा की सील तोड़ दी थी।
मुझे इतना मजा आया कि मैं आपको बता नहीं सकता।
उसके बाद मैंने उसको सब कुछ साफ करने में मदद की और फिर वहां से आ गया।


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