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ट्रेन में देखी लड़की मेरे घर आकर चुद गयी

  


XX गर्ल सेक्स का अवसर मुझे मिला जब ट्रेन में मिली एक लडकी मेरी पड़ोसन निकली. हम दोनों की दोस्ती हो गयी. इसके बाद हमने पहला सेक्स कैसे किया?

दोस्तो,
मेरी पिछली कहानी थी: ननद भाभी को एक साथ चोदा

अब दिल थाम कर बैठिए … मैं आप सबको एक बहुत ही कामुक और एकदम सच्ची सेक्स कहानी बताने जा रहा हूँ.

यह मेरी दूसरी XX गर्ल सेक्स कहानी है, अपने दिल और गुप्तांग को थाम लीजिए.

मेरा नाम संजय है पर प्यार से सब मुझे राज बुलाते हैं.
मैं 6 फीट लंबा हूँ और दिखने में भी अच्छा हूँ और मेरा लंड भी सामान्य से थोड़ा अधिक मोटा है जो लड़कियों की चूत की आग बुझाने के लिए काफी है.

मैं अभी चंडीगढ़ में रहता हूं लेकिन ऑफिस दिल्ली होने की वजह से मेरी कंपनी ने मुझे दिल्ली में एक फ्लैट दे रखा था.

यह सेक्स कहानी आज से एक महीने पहले की है जब मैं चंडीगढ़ से अपने दिल्ली ऑफिस जा रहा था.

मैं चंडीगढ़ से ट्रेन में एसी कूपे में बैठा.
मेरी बगल वाली सीट पर एक आंटी थीं और मेरे सामने एक खूबसूरत लड़की थी.

तभी मेरा एक कॉल आया.
मैं उठ कर बाहर दरवाजे की ओर आ गया और बात करने लगा.

मेरे मोबाइल में घंटी की जगह वो गाना बज रहा था

जिसे देख मेरा दिल धड़का
मेरी जान तड़पती है
वो जन्नत की हूर नहीं
मेरे कॉलेज के एक लड़की है

मुझे तो उस गाने को सुनने की आदत हो गई थी और कुछ भी असामान्य नहीं था.
मगर शायद उस लड़की को मेरे गाने से कुछ हो गया था.

उस दिन मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ जो एक प्यारी सी घटना बन गई.
यह सच में मेरे साथ पहली बार हुआ था.

वो वाशरूम के लिए आई थी और मुझको देख कर वाशरूम में चली गई.

मैंने भी फोन पर बात की और वापिस अपनी सीट पर आकर बैठ गया.
कुछ देर बाद वो वाशरूम से वापस आई और बैठ गई.
मैं उसको देखने लगा.

कुछ देर बाद मेरी आंख लग गई.

फिर पता ही नहीं चला कि कब दिल्ली आ गया.
मेरा तो सपना ही टूट गया था.
वो ‘दिल के टुकड़े टुकड़े करके मुस्कुराकर चल दिए …’ वाली बात मेरे साथ भी हो गई थी.

उसकी पीठ पर लैपटॉप बैग, एक हाथ में लड़कियों का पर्स … और एक हाथ में एक छोटी ट्रॉली.
ये लेकर वो छैल छबीली आगे बढ़ती रही और कुछ ही पलों बाद मेरी आंखों से ओझल हो गई.

पर कहते है न कि चाहत अगर सच्ची हो, तो भगवान भी साथ देता है.
वो ही मेरे साथ हुआ.

मैं अपने फ्लैट में आ गया और सुबह की चाय हाथ में लेकर बालकनी में आ गया.

एक चमत्कार हुआ, मेरे सामने वो ही लड़की आ गई.
मेरे एकदम सामने वाली बालकनी में वो खड़ी थी.

मैंने उसके ऊपर से तब तक नजरें नहीं हटाईं जब तक वो रूम के अन्दर न चली गयी.

आप लोग भी सोच रहे होंगे कि साला ऐसा क्या कभी ऐसा हो सकता है?
पर मेरे साथ हुआ था दोस्तो.

सुबह 9:30 मुझे ऑफिस जाना था तो जल्दी करते हुए मैं तैयार हुआ और घर से लाए हुए नाश्ते को खाकर ऑफिस चला गया.

शाम को वापस आया तो पहले बाल्कनी में गया.
मगर वो लड़की मुझे दुबारा नहीं दिखी.

अब ऐसा रोज होने लगा था.
मगर उसके दीदार नहीं हुए.

एक शाम को मैं वापिस लौटा.
तभी मेरी नजरों के सामने वो आई और बोली- क्या आपके घर पर चीनी है.

जैसे ही मैं हां कह कर पलटा, उसने कहा- आप मेरे साथ ट्रेन में आए थे है ना!
मैंने कहा- जी.

तभी वो बोली- आप मुझे चीनी के साथ चाय पत्ती भी दे दीजिएगा, चाय के लिए नहीं बची है.

मैंने दोबारा हां में सिर हिलाया और वो मेरे पीछे पीछे मेरे फ्लैट में आ गई.

मैंने कहा- हम दोनों एक साथ चाय पीते हैं.
उसने कहा- ओके.

चाय पीते हुए हम दोनों की बातचीत शुरू हुई.
उसने अपना नाम मीनू बताया और हिमाचल से है. ये सब बातें होती रहीं.
इस तरह हमारी दोस्ती हो गई.

दोस्ती बढ़ गई तो वो मेरे साथ ही अपने ऑफिस जाने लगी थी.
मैं पहले उतरता था, वो दो स्टॉप के आगे उतरती थी.
वो मेरे साथ ही लिफ्ट में नीचे आयी.

ऑफिस से वापसी में मैं अगर जल्दी फ्री हो भी जाता … तो उसका इंतजार कर लेता था.

शाम में मैं और वो दोनों बाहर जाकर खाना खाते थे … और थोड़ा बहुत शाम में साथ टहल लिया करते थे.

बातों बातों में इतना पता चल गया था कि उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं था और मैंने भी उसको जानबूझ कर बता दिया था कि मेरी भी कोई गर्लफ्रैंड नहीं है.

एक दिन उसके ऑफिस में पार्टी थी, उसने वनपीस पहना था, क्या लग रही थी.

उस दिन मैं मीनू का वेट कर रहा था.
तभी उसका कॉल आया.

वो बोली- आप निकल जाओ, मैं थोड़ी देर बाद आऊंगी.
मुझको पता था कि आज उसके ऑफिस में पार्टी है.

मैं वापिस फ्लैट पर आ गया.

रात नौ बजे थे, तब मीनू का फोन आया.
वो बोली- राज, मेरे को लेने आ जाओ प्लीज़.
मैंने कहा- ओके आता हूं.

मैंने आने जाने की टैक्सी कर ली.
वो ऑफिस के बाहर बैठ कर मेरा वेट कर रही थी.
मुझको देखते ही वो खड़ी हुई, टैक्सी में बैठी और हम लोग चल दिए.

उसके बैठते ही मुझे उसके मुँह से शराब की महक आई.
मैंने कुछ नहीं कहा और हम दोनों बस चुपचाप बैठे रहे.

जब फ्लैट पहुंचे तो ग्यारह बज चुके थे रात भी हो गई थी.
मैंने मीनू से उसके फ्लैट की चाबी पूछी तो वो एकदम से हक्की बक्की रह गई. उसका पर्स उसके पास नहीं था.

वो कुछ ध्यान करती हुई बोली- मेरे पर्स में थी … मगर पर्स तो ऑफिस में छूट गया है.

मैं मीनू को अपने फ्लैट पर ले आया और अन्दर लाकर सोफे पर बिठा दिया.

मीनू बहुत ज्यादा ड्रिंक कर चुकी थी और अब बहक रही थी.

रात के 12 बज चुके थे मीनू मुझसे चिपक कर बैठी थी.
वो अपना सिर मेरे कंधे पर ऐसे रखी थी, जैसे हम दोनों कपल हों.

जिस पोजीशन में मैं था, मेरा लंड खड़ा हो गया था और जींस में दब कर दर्द कर रहा था.
मैं मीनू को सहारा देकर अपने कमरे में लेकर आ गया और उसको बेड पर लिटा दिया.

अब मुझे मीनू की चिंता हो रही थी क्योंकि वो इतनी ज्यादा पी चुकी थी कि चल भी नहीं पा रही थी.
मैं उसे लिफ्ट में सहारा देकर लाया था.

वो नशे में बोली- राज मुझको सूसू जाना है.
मैंने उसको सहारा दिया और बाथरूम में ले गया.

जैसे ही मैंने मीनू को छोड़ कर मैं बाहर को आने लगा, वो फर्श पर गिर पड़ी.

अभी मैंने उसको उठाया ही था कि मीनू ने शावर चला दिया.
ठंडा पानी हम दोनों को भिगोने लगा.

वो शरारत करने के मूड में आ गई थी.
मैं पानी से गीला हो गया और मीनू भी भीग गई.

मैं जैसे तैसे करके मीनू को रूम में लाया वो सर्दी से थर-थर कांप रही थी.

मैं ऐसा नहीं हूँ कि किसी लड़की के नींद में होने का गलत फायदा उठाऊं.
मैंने उसको होश में लाने की बहुत कोशिश की पर वो होश में नहीं आई.

पर जब वो नहीं हिली तब मैंने उसके कपड़े बदलने का सोचा और उसके वनपीस की चैन पीछे से खोल दी.
कुछ ही देर में मैंने उसका वनपीस खोल दिया.

मीनू सचमुच ही परी थी. वो लाल ब्रा और लाल पैंटी में मेरे सामने थी.
उसके अधखुले लाल होंठ ऐसे लग रहे थे … जैसे कि कह रहे हों कि आओ अभी ही चूस लो.

वो गीली ब्रा और पैंटी में थी. मैंने उसकी ब्रा और पैंटी भी निकाल दी.
दोस्तो, क्या बताऊं मीनू के बूब्स इतने बड़े और कड़क थे कि पूछो मत.

मैं तो उनको देखता ही रहा.
उसकी फुद्दी भी कमाल की थी.

अलमारी से मैंने एक शर्ट और लोअर निकाला और मीनू के पास आकर उसको पहनाने लगा.
इससे पहले ही वो उठ कर बैठ गई और मेरी तरफ देखने लगी.

मुझको लगा था कि वो नशे में है मगर वो मस्त नजरों से मुझे देख रही थी.

मैंने कहा- मीनू कपड़े पहन लो.
वो बोली- कपड़े क्या पहनना राज!

ये कह कर उसने मुझको खींच कर अपने ऊपर लिटा लिया.
मैं भी कब तक कंट्रोल करता.
मेरा लौड़ा भी सलामी देने लगा था.

वो बोली- कबसे तरसा रहा है साले … आज भी शरीफ बना रहेगा क्या?

उसे ये तेवर देखे तो बस मैंने मीनू के मम्मों को पकड़ लिया और एक दूध चूसने लगा.
वो भी मस्त हो गई और मेरे मुँह में अपना दूध ठेलने लगी.

कुछ ही देर में मीनू इतनी ज्यादा गर्म हो गई थी कि पूछो मत!
मैं कभी मीनू के पेट को चाटता, तो कभी उसकी नाभि को किस करता.

इस सबसे वो और भी ज्यादा गर्म होती जा रही थी.
वो बोली- अब आगे भी बढ़ जाओ राज … अपनी इस मीनू को ठंडी कर दो!

मैं उठा और मीनू के पेट पर चढ़ गया.
कुछ देर उसे रगड़ कर खुद को गर्म किया और अलग हट कर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए.

अब मैं बिस्तर के बाजू में खड़ा हो गया और अपना खड़ा लौड़ा मीनू की नाभि में डालने लगा.
फिर उसके बूब्स के पास ले गया और मम्मों में लंड फंसा कर रगड़ने लगा.
वो लंड पकड़ रही थी.

बाद में मैंने अपना लौड़ा सीधा मीनू के मुँह में डाल दिया.
वो उसको मुँह में लेकर चूसने लगी.

मीनू लौड़ा चूसती रही और मैं उसके मम्मों को दबाता रहा.
सच में क्या बूब्स थे उसके!

मेरा लंड जब कंट्रोल से बाहर हुआ तो मैं मीनू की फुद्दी चाटने लगा.

मीनू कुछ ही मिनट में ही डिस्चार्ज हो गई.
मैंने मीनू को उल्टा किया और पीछे से उसकी फुद्दी में लौड़ा पेल दिया.

मीनू के मुँह से बस ये निकला- वाओ उई धीरे सीई ईईई उई मां राज धीरे से करो प्लीज धीरे करो ना … बहुत दर्द हो रहा है प्लीज धीरे से … उई मां!

मैं उसकी चूत में लंड पेलता गया और मस्त XX गर्ल सेक्स हुआ.
मीनू एक बार फिर से डिस्चार्ज हो गई.

मैं भी डिस्चार्ज होने वाला था.
कंडोम तो था नहीं … इसलिए मैंने अपना रस मीनू की चूत के बाहर टपका दिया.

इस तरह से मैंने मीनू की फुद्दी सारी रात मारी.
मीनू को भी मजा आ गया.
मुझको भी मस्त चूत मिल गई थी.

सारी रात की चुदाई के बाद सुबह हम दोनों देर से उठे और ऑफिस भी नहीं जा पाए.

मीनू ने ऑफिस से अपना पर्स किसी से मंगा लिया था.
उसके बाद वो तीन महीने तक मेरे फ्लैट पर मेरे साथ ही रही.

हम ऑफिस से आते और नंगे हो जाते और रात को सेक्स करके सो जाते, सुबह अपने अपने ऑफिस चले जाते.

फिर वो मुझे छोड़ कर चली गई.
उसकी पोस्टिंग नेपाल हो गई है.
अब कभी कभी उससे फोन पर ही बात होती है.


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