मैं आपको अपने जीवन की एक सेक्स घटना के बारे में बताना चाहता हूं।
कहानी लिखने में कोई गलती हो तो कृपया नजरअंदाज करें।
यह टीनेज़ गर्ल सेक्स कहानी तब की है जब मैं अपनी गर्मी की छुट्टियों में मौसी के घर गया हुआ था।
मैं उनके घर छुट्टियां बिताने पहली बार गया था।
मेरे जाने पर मौसी ने खुशी-खुशी मेरा स्वागत किया।
मेरी बहनें यानि मौसी की लड़कियां भी मुझे देखकर खुश हुईं।
मेरी मौसी के तीन लड़की हैं।
हम सबने काफी सारी बातें कीं और फिर खाना साथ में ही खाया।
उनकी बीच वाली लड़की मुझ पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रही थी, वो बार-बार मुझे देखकर मुस्करा रही थी।
उसने अपना पैर मेरे पैर पर रखा हुआ था।
मैं उसके पैर को हटाता तो वो फिर से अपना पैर मेरे पैर चढ़ा लेती थी।
जैसे-तैसे करके मैंने खाना खाया और फिर वहीं पास में पड़े बेड पर लेटकर सो गया।
दोपहर में मेरी आंख खुली तो मुझे अपने सीने पर कुछ वजन सा महसूस हुआ।
मैंने पाया कि मंझली बहन मेरे सीने पर सिर रखकर सो रही है।
मैं एकदम से सहम गया और आसपास देखा तो सब लोग सो रहे थे।
मैंने धीरे से उसके सिर को हटाया और फिर से सोने लगा।
कुछ देर के बाद उसका हाथ मेरे सीने पर आ गया।
मैंने हाथ को हटा दिया।
मैं दोबारा सोने की कोशिश करने लगा तो उसका हाथ फिर से मेरे सीने पर आ गया।
अब मैं समझ गया कि ये सो नहीं रही है, बस सोने का नाटक कर रही है।
मैंने उसके कान के ऊपर मुंह रखा कर हंसना शुरू किया तो वो भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई और हंसने लगी।
तभी उसने अपनी आंखें खोल दीं।
उसके आंख खोलते ही मैंने धीरे से पूछा- ऐसे क्यों कर रही हो तुम?
वो बोली- मुझे तुमसे प्यार हो गया है, पहली ही नज़र में! अब तक कहां थे तुम? मुझे नहीं पता था कि मेरी मौसी का लड़का इतना सुंदर है। अगर पता होता तो मैं पहले ही तुमसे मिलने तुम्हारे घर पर आ जाती।
ये कहते हुए वो टीनेज़ गर्ल मुझसे लिपटने लगी।
मैंने डरते हुए कहा- सब लोग सो रहे हैं यहां, अगर किसी ने देख लिया तो बहुत पिटाई होगी।
वो बोली- ठीक है, जब घर में कोई नहीं होगा तो तुम बस मेरे होगे।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर रात हुई और हम सबने खाना खाया और फिर मैं और मेरी मौसी की तीनों लड़कियां, हम चारों एक ही बेड पर सो गये।
सोने के बाद उसी रात करीब 2 बजे मेरे पैर में कुछ काटने जैसा महसूस हुआ और मेरी आँख खुल गयी।
जब मैं उठा तो देखा कि मौसी की मंझली लड़की मेरे पैर के पास बैठी मुस्कुरा रही थी।
उसने ही मुझे पैर में काटकर उठाया था।
वो मुझे अपने कम्बल में बुलाने लगी।
मैंने उससे कहा कि सब लोग जाग जाएंगे।
और मैंने वापस से अपना कम्बल ओढ़ लिया और लेट गया।
कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरे कम्बल में कोई है।
मैंने आंख खोली तो मौसी की लड़की ही थी।
वो मुझसे लिपट कर लेटी हुई थी और मुझे चूमना चाह रही थी।
मैं डर गया था।
वो बोली- तुम डरो मत, मैं सब संभाल लूंगी।
मैं चुपचाप लेटा रहा।
उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया; मेरे चेहरे पर वो किस करने लगी।
उसके बाद चूमते हुए वो मेरे होंठों पर आ गई।
अब तक मेरा लंड भी पूरा खड़ा हो गया था।
मैंने भी उसको चूमना शुरू कर दिया।
फिर कम्बल के अंदर ही उसके कपड़े उतार दिए।
मैंने उसके पूरे बदन को चूमा, उसके पेट के नीचे, उसकी चूत के पास, जहां से सौंधी सौंधी सी खुशबू आ रही थी।
मैं चूत के पास सूंघने लगा और उसकी चूत को खूब चाटा।
उसने मेरे लंड को भी चूमा और चूसा।
अब मेरा लंड उसकी चूत में जाने के लिए पूरी तरह से तैयार था।
तभी मौसी की दूसरी बेटी जाग गई और मैं कम्बल में चुपचाप नंगा ही लेट गया, जैसे साँप सूंघ गया हो हमें!
अब हम उसके सोने का इंतजार करने लगे।
वो पानी पीकर वापस से लेटकर सो गई।
फिर मैंने उससे कहा कि हमारा काम यहां नहीं हो सकता है।
वो बोली- तो फिर क्या करें?
मैंने कहा- ऊपर दूसरी मंजिल पर चलते हैं।
फिर हम चुपके से उठकर दूसरी मंजिल पर चले गए।
मैं नीचे लेट गया और उसे मैंने लंड पर बिठाया और नीचे से धक्के मारने लगा। मेरा लंड उसकी चूत की दरार पर रगड़ रहा था, अंदर नहीं गया था.
कुछ देर के बाद फिर मैंने उसको घोड़ी बनाकर उसकी चूत में लंड डालना चाहा।
मुझे अहसास हुआ कि उसकी चूत एकदम से कोरी थी।
मौसी की लड़की की कुंवारी चूत में लंड की रगड़ से ही जलन होने लगी थी।
मैंने उसे समझाया कि लंड जब अंदर जाएगा तो दर्द होगा.
वो बोली- मुझे मालूम है. मेरी कई सहेलियाँ सेक्स कर चुकी हैं, उन्होंने बताया है.
तभी उसने मुझे कोल्ड क्रीम की डिबिया दी और बोली- इसे लगा लो अपने पर भी मेरे में भी! तब करो!
मैंने ऐसे ही किया.
जैसे ही मेरी लंड मेरी बहन की बुर के अंदर घुसने लगा, वो दर्द से एकदम काम्पने लगी. पर उसने अपने डांट भींच कर अपनी चीख रोक ली.
मैं धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने लगा, लंड थोड़ा थोड़ा सरक सरक कर पूरा अंदर चला गया.
मुझे भी लंड पर रगड़ का अहसास हो रहा था.
3-4 मिनट में ही मैं झड़ने लगा तो मैंने लंड बाहर खींच लिया. और वीर्य नीचे गिरा दिया.
उस रात वो पहली बार चुदी थी। आधे घंटे बाद मैंने उसको दोबारा चोदना चाहा।
उसने लंड एक बार तो डलवा लिया पर उसके पेट में दर्द होने लगा और वो रोने लगी।
फिर मैं नीचे आया और धीरे से फ्रिज खोलकर उसमें से बर्फ निकाल कर ले गया।
मैंने बर्फ को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया और उसकी चूत की जलन कम होने लगी।
ऐसे ही करते करते वो चुदने के लिए फिर से गर्म होने लगी।
मैंने उसकी चूत को चाटा तो ऐसा लगा जैसे ठंडी आइक्रीम हो।
उसके बाद मैंने थोड़ी बर्फ अपने लंड पर भी रगड़ी।
उससे मैंने कहा कि मेरा ठंडा लॉलीपोप भी चूस ले।
उसने मेरे ठंडे लॉलीपोप को इतना चूसा कि मैं उसके मुंह में ही झड़ गया।
मेरे लंड से निकले पानी को वो पी गई।
कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे।
फिर मेरा लंड दोबारा से खड़ा होना शुरू हो गया।
मेरा लंड एक बार फिर उसकी चूत में जाने के लिए तैयार था।
मैंने उसको चोदना शुरू कर दिया।
कुछ देर तो उसको तकलीफ होती रही लेकिन 2 मिनट बाद चुदाई में हमें पूरा मजा आने लगा।
अब वो कभी मेरी पीठ को सहला रही थी तो कभी होंठों को चूमने लग जाती थी।
मेरी मौसी की लड़की की चूत अब पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी।
मैं भी जोर लगाकर उसकी चूत में धक्के लगा रहा था। मैं अब उसकी चूचियों को भींचने लगा।
चूचियां दबाते हुए मैं धीरे धीरे उसकी चूत में लंड को चला रहा था।
वो कभी मेरी गर्दन को चूम रही थी तो कभी मेरी पीठ को सहला रही थी।
मुझे लगा मैं जल्दी ही झड़ जाऊंगा क्योंकि चूत मारने में मजा ही इतना आ रहा था कि मैं वीर्य को रोक नहीं पा रहा था।
इसलिए मैंने थोड़ा ब्रेक देने की सोची। मैं चुदाई रोक कर उसकी चूचियों को पीने लगा।
वो मेरे सिर को सहलाने लगी और आराम से अपनी गोरी गोरी टाइट चूचियों को पिलाने लगी।
नीचे से मेरा हाथ उसकी चूत को सहला रहा था।
फिर मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी और तेजी से अंदर बाहर करने लगा।
वो आवाज को दबाते हुए आह्ह … आह्ह … करने लगी।
कुछ देर तक उसकी चूत में उंगली करते हुए मेरी दोनों उंगलियां उसकी चूत के रस में नहा गईं।
मैंने वो चूत रस से सनी उंगलियां उसके मुंह में दे दीं जिनको वो चूस-चाट गई।
फिर मैंने उसको घोड़ी बनाकर झुका लिया।
मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड को पेल दिया।
अब मैं दोनों हाथों से कमर को थाम कर चोदने लगा।
मैंने तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए।
विराम देने के बाद भी मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाया और जैसे ही वीर्य निकलने को हुआ, मैंने उसकी चूत से लंड को बाहर निकाल लिया।
लंड बाहर आते ही वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी और मैं वहीं पर झड़ गया।
कुछ पल मैं वैसे ही हाँफता रहा और फिर शांत हो गया।
उसके बाद नीचे जाकर हम दोनों आराम से लेट गए।
उसने भी कुछ नहीं कहा और मैंने भी कुछ नहीं कहा।
फिर लेटे हुए नींद आ गई।
सुबह वो जल्दी उठ गई थी।
मैं देर तक सोता रहा।
फिर उठने के बाद मैंने देखा कि वो ठीक से चल नहीं पा रही थी।
कोई और उसकी चाल को पहचान नहीं पा रहा था लेकिन मैं जान गया था कि रात की चुदाई के बाद उसकी चूत में दर्द हो रहा है।
मैं पास की मेडिकल शॉप से उसके लिए दर्द की दवाई ले आया।
उसने सबकी नजर बचाते हुए दवाई ले ली।
कुछ घंटे के बाद वो बिल्कुल नॉर्मल हो गई।
रात में उसकी चूत चोदने की बात सोचकर ही मेरा लंड पूरा दिन खड़ा रहा।
वो भी चलते-फिरते हुए मेरे लंड के तनाव को भांपकर मुस्करा देती थी।
उसकी चुलबुली हरकतें और कमसिन जवानी की अदाएं मुझे अब पागल कर रही थीं।
बार बार उसकी टाइट कुंवारी चूत चोदने का मन कर रहा था।
शायद वो दोबारा से चुदने के मूड में लग रही थी।
तो उस रात के बाद से मैं और मेरी मौसी की लड़की आपस में पूरी तरह से खुल गए।
अब तो दिन में कभी भी मौका पाकर वो मेरे लंड को सहला देती थी।
मैं भी उसकी चूचियों को भींचकर उसकी चूत को सलवार के ऊपर से ही रगड़ दिया करता था।
कई बार वो अपनी चूचियां मुझे चलते फिरते पिला देती थी और मैं लंड उसके मुंह में दे देता था।
इस तरह से मौसी की मंझली लड़की के साथ मेरी मस्ती चलती रही।
काफी दिन हमने मजे किए।
तो दोस्तो, उसके बाद जितने दिन भी मैं वहां पर रहा, हम दोनों ने खूब मस्ती की।
लेकिन इस बीच शायद उसकी बड़ी बहन यानि मेरी मौसी की सबसे बड़ी लड़की को हम पर शक हो गया था।
उसने इस बारे में कुछ कहा नहीं लेकिन वो अब थोड़ी चौकन्नी सी रहने लगी थी।
अब हमने चुदाई की एक नई तरकीब निकाली।
हम लोग घर में चुदाई करने का रिस्क नहीं लेते थे; मार्केट जाने के बहाने हम दोनों साथ में घर से निकल जाया करते थे।
फिर पहले मैं होटल में चला जाता और उसके दस मिनट के बाद मेरी बहन अंदर आ जाती थी।
हम जल्दी से चुदाई का एक राउंड करके आ जाया करते थे।
कई बार रात को जब बहुत मन करता था तो मैं धीरे से अपनी बहन की पजामी को नीचे करके उसकी चूत में लंड को घुसाकर लेट जाता था।
वो धीरे-धीरे अपने चूत़ड़ों को हिलाते हुए लेटी हुई ही चुदती रहती थी।
कई बार हम लोग रात में छत पर जाकर चुदाई करते थे।
मैंने अपनी मंझली बहन की चूत एकदम से खोल दी थी।
उसके बाद मेरे वहां रहने का टाइम खत्म हो गया और मैं वापस अपने घर आ गया।
घर आने के बाद भी मुझे उस टीनेज़ गर्ल की चूत की याद सताया करती थी।
कई बार मैंने उसके वहां जाकर चोदने की कोशिश की लेकिन फिर मौका नहीं लग पाया।
उसके बाद अब तक मुझे उसकी चूत मारने का मौका नहीं मिला है।
मैं इंतजार में हूं कि कब ऐसा टाइम आएगा कि हमें एक दूसरे की प्यास बुझाने का मौका मिलेगा।
मैं फिर से जमकर उसकी चुदाई करूंगा।
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